वोमेन्स डायबिटीज़ डिस -अपीयर आफ्टर सर्जरी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई अगस्त १७ ,२०१० ,पृष्ठ १५ )।
बरसों तक ओबेसिटी से जूझते रहने के बाद एक दिन उसे रोगनिदान के बाद पता चला उसे डायबिटीज़ भी है .बस मारी व्रीतेसेल ने वेट रिडक -शन- थिरेपी आजमाने का फैसला कर लिया ।
गत अगस्तमें सर्जरी संपन्न हुई .इसके बाद आश्चर्य जनक तौर पर उसके रक्त में घुली शक्कर का स्तर सामान्य रहने लगा इतना की उसे मधुमेह -रोधी (एंटी -डायबेटिक पिल्स )की ज़रुरत ही नहीं रह गई .एंटी -हाइपर -तेंसिव दवाएं और कोलेस्ट्रोल कम करने वाली दवाएं भी गैर ज़रूरी हो गईं ।
लेकिन ऐसा हर डायबेटिक के साथ हो ही यह ज़रूरी नहीं है ,लेकिन कई मामले देखने के बाद अब रिसर्चर इसकी अनदेखी को भी तैयार नहीं हैं ।
रिसर्चों से पता चला है दाय्बेटिक्स(मधु -मेह रोगियों )के रक्त में कुछ ख़ास एंजाइम होतें है जो नॉन -दाय्बेटिक्स की ब्लड स्ट्रीम में मौजूद किन्वकों (एंजाइम्स )से भिन्न होतें हैं .विशेष बात यह है "गैस्ट्रिक बाई -पास -सर्जरी "के बाद ये एंजाइम्स तब्दील हो जातें हैं .मारी रितेसेल के साथ ऐसा ही हुआ है .
मंगलवार, 17 अगस्त 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
काम की जानकारी
एक टिप्पणी भेजें