लीवर सेल्स क्रिए -टिड फ्रॉम ह्यूमेन सेल्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २७ ,२०१० ,पृष्ठ २३ ).
माहिरों ने पहली मर्तबा मानवीय चमड़ी से ली गई कोशाओं की रिप्रोग्रेमिंग करके यकृत कोशायें तैयार कर लीं हैं .इस हासिल ने लीवर चिकित्सा के लिए संभावना के नए क्षितिज खोल दिए हैं .
जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में केम्ब्रिज विश्व -विद्यालय के साइंसदानों ने अपने इस अध्ययन के नतीजे प्रकाशित कियें हैं ।
यह प्रोद्योगिकी ह्यूमेन एम्ब्रियोज़ से (बामुश्किल ५-१५ दिन की उम्र केयानी फ्यू -डेज़ ओल्ड स्टेम सेल्स )कलम कोशायें जुटाने की अपरिहार्य -ता से निजात दिलवा सकती है जिसे लेकर अमरीका में राजनितिक और नीतिगत फसाद है ,वितंडा है और जिसने स्टेम सेल रिसर्च का भी चक्का जाम किया हुआ है .प्रो -लाइफर्स और एबोर्शनिस्ट लोबी एक दूसरे से इस मुद्दे पर बे -तरह टकरातीं रहीं हैं ।
केम्ब्रिज लेबोरेटरी फॉर रिजेंरेतिव रिसर्च के तामीर रशीद के अनुसार हमारे द्वारा तैयार की गई ऋ -प्रोग्रेम्द कोशायें कलम कोशाओं से उन्नीस नहीं हैं .हर मायने में उनका ज़वाब हैं .समझियेएक तरह की एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल्स से ही यह लीवर सेल्स प्राप्त की गईं हैं ।
एम्ब्रियोनिक सेल्स को जादुई समझा जाता है .इन्हें कोई भी सोफ्ट वेयर देकर शरीर का कोई भी अंग कोशा या ऊतक ,पेशी आदि तैयार की जा सकतीं हैं .क्योंकि ये अन -दिफ्रेंशियेतिद सेल्स होतीं हैं ।
रशीद और उनकी टीम ने सात मरीजों से उनके स्किन सेम्पिल्स जुटाए .ये विरासत में मिली यकृत बीमारियों से ग्रस्त थे .तुलना के लिए तीन स्वस्थ व्यक्तियों के भी स्किन सेम्पिल्स लिए गये ।
इन्हें , री - प्रोग्रेम किया गया (एक सोफ्ट वेयर दिया गया )और एक तरह की स्टेम सेल्स में ही तब्दील कर दिया गया ,जिन्हें "इन्द्युस्द प्ल्युरी -पोटेंट स्टेम सेल्स" कहा जाता है .अब इन्हें एक बार फिर री -प्रोग्रेम्ड करके ऐसी लीवर सेल्स तैयार की गईं जो तमाम तरह कीउन यकृत बीमारिओं को मिमिक करतीं थीं जिनसे सातों मरीज़ ग्रस्त थे .कम्पेरिजन ग्रुप के स्किन सेम्पिल्स से इसी विध स्वस्थ यकृत कोशायें तैयार की गईं . बस इसी के साथ यकृत बीमारियों के इलाज़ और बेहतर प्रबंधन का एक बेहतरीन ज़रिया लगता है माहिरों के हाथ आ गया है .
शुक्रवार, 27 अगस्त 2010
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1 टिप्पणी:
बहुत अच्छा लगा
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