हू (डब्लू एच ओ ) वर्च्युअली एन्दोर्सिज़ सुपर बग स्टडी ,दज नोट कमेन्ट ऑन नेम (डीएन- ए सन्डे ,मुंबई ,अगस्त २२ ,२०१० ,पृष्ठ ५ )।
विश्व -स्वास्थ्य संगठन ने "डी लांसेट इन्फेक -शस डीज़ीज़ "में प्रकाशित ड्रग रेज़िस्तेंट बेक्टीरिया का ज़िक्र ज़रूर किया है लेकिन भारत का इसके उदगम स्थल को लेकर कहीं नाम तक नहीं लिया है .याद रहे भारत सरकार ने इस दवा -रोधी सुपर बग को न्यू -देहली मेताल्लो -बीटा लेक्तामेज़ -१ नाम देने पर एतराज़ जाताया था .चिकित्सा जगत ने भी अच्छी फटकार लगाई थी इस प्रायोजित शोध और इसके नतीजों पर ।
११ अगस्त २०१० को प्रकाशित इस अध्ययन में एक जीवन इकाई (जीन )का ज़िक्र किया गया था .पता चला था यही जीन कुछ जीवाणुओं को तकरीबन सभी एन्तिबाय्तिक्स दवाओं का प्रतिरोध करने की ताकत देकर नाकारा बना देता है ।
बेशक यह आलेख एंटी -माइक्रो -बिअल रेजिस्टेंस की तरफ सब का ध्यान खींचता है .अनेक दवाओं से बेअसर रहकर रोग संक्रमण पैदा करने वाले मल्टी -ड्रग रेज़िस्तेंट बेक -टीरिया के प्रति खबरदार पैदा करता है ।विश्व -स्वास्थ्य संगठन ने केवल इसी बात को तस्दीक किया है यह कहीं नहीं कहा है कथित मल्टी -ड्रग -रेज़िस्तेंट बेक -टीरिया भारत के अस्पतालों में पैदा हुआ है ।
अलबत्ता इस परिदृश्य पर नजर टिकाने की सभी को ज़रुरत है विविध दवाओं का प्रति रोध कर उन्हें बेअसर करने वाले जीवाणु चिकित्सा जगत के लिए नए नहीं रहें हैं .इनका ज़िक्र होता रहा है ,आइन्दा भी होता रहेगा .आगे अध्ययन इसके फैलाव के तरीके को लेकर होने ही चाहिए भारत के चिकित्सा विद भी इसका समर्थन करतें हैं .साथ ही एंटी -बाय -टिक्स के स्तेमाल को लेकर इनकीनिर्बाध खुली बिक्री (बिना नुस्खा खरीद फरोख्त )का विनियमन भी होना चाहिए .बात बे बात इनका अनियमित स्तेमाल ,बीच में इलाज़ छोड़ देना समस्या के मूल में रहा है .तपेदिक के मामले में यह होता रहा है .हॉस्पिटल बोर्न इन्फेक्संस पर भी नजर रखने के अलावा स्पष्ट एक नीति बनाकर उस पर अमल भी करवाना होगा .इनमे से कोई भी मुद्दा नाक भौं सिकोड़ने की गुंजाइश नहीं छोड़ता है .सभी को इसका फायदा होगा ।
अलबत्ता सच यह भी है सुपर बग अमरीकी और योरप वासियों के लिए उतना बड़ा हौव्वा नहीं है जितना चिकित्सा तंत्र के झमेले ,आम अमरीकी की औकात से बाहर इलाज़ पर आने वाला खर्च .माहिरों से मुलाक़ात में दिक्कत .जब तक यह दिक्कत है ,भारत का चिकित्सा पर्यटन उद्योग यूं ही विकसित होता रहेगा ।
मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है ,वही होता है जो मंजूरे खुदा (खर्चे )होता है .
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