गुरुवार, 26 अगस्त 2010

खाऊपन के खमियाज़े भुगतने पडतें हैं

बिंज ईटिंग कैन आल्टर एबिलिटी टू स्टे स्लिम फॉर ईयर्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २६ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )
बिना संयम रखे खाने पीने का छोटा सा भी दौर आपके शरीर में वसा के कुल फीसद भण्डार को दो सालों की अवधि से ज्यादा समय तक भी बढाए ,बनाए रख सकता है .आप लाख कोशिश करें एक बार कद काठी ,डील डौल में हुआ इजाफा देर तक आपका पिंड नहीं छोड़ेगा .एक नए अधययन का यही सन्देश है .अगली मर्तबा बिना संयम के खाने पीने में जुटने से पहले थोड़ा सोच समझ लें इस बात को ।
स्वीडन की लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने अपने अध्ययन में बतलाया है अल्पावधि की,सिर्फ महीने भर की बिंज ईटिंग भी ठीक नहीं रहती है .एक बार बेडौल होजाने पर शरीर को दोबारा पूर्व- वतआकार ग्रहण करने में सालों जाया हो जातें हैं .छरहरा होने ,दोबारा से स्लिम होने के मंसूबे धरे के धरे रह जातें हैं . बॉडी साइज़ (कद काठी ,आकार ,डील डौल पर )इसका दूरगामी असर पड़ता है .शरीर का वसा भंडारण का मिजाज़ ही तबदील हो जाता है .भले ही शुरू में बढा हुआ वजन कम ही क्यों ना हो जाए .बे -डौल -पन बना रहता है ।
पेटूपन फैटमॉस में तबदीली लाता है -शरीर में वसा के प्रतिशत को बदल के रख देता है .दो साल से भी ज्यादा अवधि के लिए यह पर्सेंतेज़ बना रह सकता है .चर्बी एक बार चढ़ भर जाए ,उसे उतारना आसान काम नहीं रह जाता है .दी डैली टेली-ग्राफ ने इस अध्ययन की रिपोर्ट को विस्तार से प्रकाशित किया है ।
सार यही है ,अल्पावधि खाऊपन ,कसरत का अभाव मुकम्मिल तौर पर आपके शरीर के मिजाज़ को बदल के रख सकता है .आपका शरीर क्रिया विज्ञान पहले जैसा रह नहीं जाता है .अगली मर्तबा अपनी इस कमजोरी का ध्यान ज़रूर रखें .

कोई टिप्पणी नहीं: