मंगलवार, 24 अगस्त 2010

शरीर की चर्बी और मधुमेह को काबू में रखने के लिए लीजिये

अस -पैरागस ,गार्लिक हेल्प फाईट फ्लेब (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २४ ,२०१० ,पृष्ठ १५ )।
ए डाईट रिच इन फर्में -टेबिल कार्बो -हाई -ड्रेट्स लाइक गार्लिक ,अस -पै -रागस एंड एंटी -चोक्स, सप -रेसिज हंगर एंड इम्प्रूव्स दी बॉडीज एबिलिटी टू कंट्रोल ब्लड सुगर लेविल्स ।
एक अध्ययन के मुताबिक़ शतावरी (अस -पै -रागस ,नागदौन या शतावर ),लहसुन तथा आरटी -चोक्स (आटी-चोक ,हाथी -चक या वज्रांगी ) युक्त खुराक का नियमित सेवन एक तरफ मोटापे से दूसरी तरफ जीवन शैली रोग मधुमेह से भी राहत दिलवा सकता है .एक तरफ ये वानस्पतिक खाद्य भूख का शमन करतें हैं तो दूसरी तरफ ब्लड सुगर को भी बेकाबू होने से रोकने में सहायक सिद्ध होतें हैं ।
वास्तव में ये खाद्य गट-हारमोनो को स्रावित करवातें हैं .भूख को यही उदर के चारों और के अंग में बनने वाले हारमोन ही कम करतें हैं .इंसुलिन की संवेद्यता को बढ़ाकर ग्लूकोज़ के बेहतर विनियमन में मददगार की भूमिका में आतें हैं यह हारमोन .आप जानतें हैं हमारा अग्नाशय (पैनक्रियाज़ ) ही ग्लूकोज़ को ठिकाने लगाने के लिए ज़रूरी इंसुलिन का स्राव कराता है ।
इम्पीरियल कोलिज लन्दन के खुराक -विज्ञानी निकाला गेस के नेत्रित्व में यह अध्ययन संपन्न हुआ है .भूख और ब्लड ग्लूकोज़ का विनियमन बूझ कर निश्चय ही सेकेंडरी डायबिटीज़ को मुल्तवी रखा जा सकता है ।
इन अन्वेषणों की पुष्टि होने पर मोटापे और मधु- मेह के इलाज़ को एक नै दिशा मिल सकती है .इन खाद्यों की पड़ताल अभी ज़ारी है .कमसे कम जोखिम को कम तो किया ही जा सकता है .ब्रोक्काली ,काले ,पालक जैसी हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी डायबिटीज़ के खतरे के वजन को १४ फीसद तक कम करने में कारगार पाया गया है .

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी जानकारी .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!