वाच बिफोर यू ईट .दे मे बी हेल्दी एंड डिलीशियस ,बट दीज़ टॉप टेन फूड्स कैरी ए हाई -रिस्क ऑफ़ कंटा -मिनेशन (मुंबई मिरर ,अगस्त २५ ,२०१० ,पृष्ठ ३० ).
अंडे :सालमोनेलाजीवाणु अकसर अण्डों को संदूषित कर रोग संक्रमणों की वजह बन सकता है .इसलिए ज़रूरी है यह सुनिश्चित करना ,अंडे ताज़ी हैं .रख -रखाव ठीक रहा है इनका .(भारत के सन्दर्भ में जहां बिजली नहीं बिजली के खम्बे ज्यादा हैं यह जानना समझना ज़रूरी है फ्रिज में भी अण्डों की सेल्फ लाइफ वहां भी हफ्ते से ज्यादा नहीं होती जहां बिजली की आपूर्ति २४/७ घंटा है .फिर भारत के सन्दर्भ में तो ऐसा भी कहना समझना रिस्की है ,आप देखिये आपके इलाके में कितनी दफा बिजली गुल होती है ।
अण्डों को ताज़े पानी से भरे बर्तन में छोड़ कर देखिये -तैरतें हैं या डूब जातें हैं .डूबने वाला अंडा ताज़ा होगा .ए ग्रेड का अंडा रासायनिक रूप से उपचारित होता है .मुर्गी का एक्स -क्रीटा (कुक्कुट बिष्टा )से संदूषित नहीं होता है ।
जहां से अंडे खरीदतें हैं देखिये कहीं धूप या नमी में तो नहीं पड़े रहते वहां ?
अण्डों को या तो उबालिए या पकाइए .कच्चा अंडा खाना निरापद नहीं है ।
ताज़ी हरी पत्तेदार तरकारियाँ (लीफी ग्रीन्स ):
पालक हो या ताज़ा ताज़ा हरा धनिया पत्ता ,चौलाई के पपल पत्ते हों ,फूल या बंद गोभी ई -कोली ,नोरो -वायरस या फिर सालमोनेला से संदूषित हो सकतें हैं .आप नहीं जानते इन्हें कहाँ उगाया गया था .भारत में रेल -की पटरियों के गिर्द आधा भारत रहता है जहां की हवा पानी हरी तरकारी सभी कुछ तो गंधाती है .यहीं कहीं से आई हुई भी हो सकतीं हैं ये तरकारियाँ ।
नाशी जीव-नाशियों (पेस्टी -साइड्स )और कीट और फफूंद नाशियों से भी संसिक्त हो सकतीं हैं ये कथित ग्रीन्स .इन्हें साफ़ पानी से भरे बर्तन में छोड़कर रखिये स्तेमाल से पहले .फिर सुखाइये .अब स्तेमाल कीजिये ।
फिश :ताज़ी फिश ही भली .फ्रिज में भी इसे २-३ दिन से ज्यादा मत रखिये .इससे कुदरती विषाक्त पदार्थ (नेच्युरल टोक्सिंस )यथा स्कोम्ब्रो -टोक्सिन रिस सकता है .जीवाणु भी पनप सकतें हैं बेतरह ।
नोरो -वायरस और सालमोनेला से होने वाला रोग संक्रमण लग सकता है इसी हाल में स्तेमाल करने से .इसलिए पकाने से पहले अच्छी तरह से पानी से साफ़ कीजिये मच्छी को .खासतौर से इसकी केविटीज़ को .रंनिंग टैप के नीचे धोना साफ़ करना ज़रूरी है .इसके बाद नमक और हल्दी से संसिक्त करना भी उतना ही ज़रूरी है .(हल्दी तो ज्ञात एंटी -बायटिक है ,स्वास्थ्य -वर्धक है .नमक एक अच्छा कुदरती खाद्य -संरक्षि है ।
ओईस -टार्स(शंख मीन ):ठीक से पकाना बहुत ज़रूरी है शंख मीन को वगरना नोरो -वायरस तथा सालमोनेलासे होने वाले रोग संक्रमण का पूरा ख़तरा बना रहता है .वैसे भी यह उदर -आंत्र-रोग संक्रमण (गैस्ट्रो -एंटे -राय -टिस)का मौसम है और संदूषित ओइय्स- टर खाने का मतलब स्टमक एंड इंटेएस्ताइन इन्फ्लेमेशन के अलावा और भी बहुत कुछ है ।
एक और जीवाणु है विब्रिओ .कोलरा परिवार का ही सदस्य है यह जीवाणु .ओइस्तर इसे पनाह दिए रहता है .यह सालमोनेलाजीवाणु और नोरो -वायरस से ज्यादा घातक है .इसलिए भी भली भाँती पकाकर खाना बेहद ज़रूरी है इस कथित स्वास्थयकर सी फ़ूड को ।
सदा बहार सब्जियों का राजा आलू :
सालमोनेला ,ई -कोलई,शिगेल्ला और लिस्तेरिया इसे संदूषित कर सकतें हैं .पहले इसे टूथ ब्रश से रगड़ रगड़ कर इसकी सतह से मिटटी साफ़ कीजिये ,पानी साफ़ होना चाहिए .अब छिलियेगा इसे .अब चाहे उबालिए ,चाहें माइक्रो वेव कीजिये ।
चीज़ :सोफ्ट चीज़िज़ से बचिए .फेटा और बरी भरोसे मंद नहीं हैं .कहीं से भी खरीदा उठाया चीज़ रोगकारकों jसे लदा हो सकता है ।
लिस्तेरिओसिस का ख़तरा ऐसे में मुह बाए खड़ा रहता है .मिस -केरिज की भी वजह बनसकता है यह लक्षण विहीन रोग -संक्रमण .इटइज ए स्ला-इ ,सिम्पटम फ्री इन्फेक्शन देत कैन रिज़ल्ट इन मिस -कैरिज .नॉन -पेश्च्यु -राइज्द चीज़ प्रोडक्ट्स से बचिए ।
आइस क्रीम :कच्चे अंडे ,अ -पास्तुरिकृत (अन -पेश्च्यु -राइज्द )दूध से गंदे संदे अस्वास्थाय्कर माहौल में तैयार की गई आइस क्रीम सालमोनेला और स्टेफी -को -कास रोग संक्रमण की वजह बन सकती है .गंदे स्कूप्स ,भंडारण पात्र तथा फ्रीज़र्स भी इस रोग संक्रमण की वजह बन सकतें हैं .अच्छी साख वाली ब्रांड की ही आइस क्रीम खरीदिये ।
टमाटर :देखिये टमाटर एक दम से सख्त हो .कटाफटा ना हो .इसके गूदे से सालमोनेला आसानी से प्रवेश कर सकता है .इसके अलावा स्तेमाल से पूर्व साफ़ पानी से धोने के बाद ही इसे अच्छी तरह पकाकर खाइए ।
अंकुरित अनाज और डालें :कच्ची अवस्था में इन्हें खाना सुरक्षित नहीं है .जिस वार्म और आद्र(नमी युक्त )माहौल में यह तैयार होतें हैं वह जीवाणु सालमोनेला तथा ई -कोली को भी माफिक आता है .बेहतर है इसे माइक्रो -वेव किया जाए या स्टीम .स्तन पान कराने वाली महिलाए ,बच्चे ,बूढ़े इसके रा स्तेमाल से बचें .जो लोग किसी बीमारी से उबर रहें हैं या फिर जिनका रोग -रोधी तंत्र पहले से ही कमज़ोर है अंकुरित के रा स्तेमाल से बचें ।
बेरीज :जामुन हो या फालसा ,रसभरी हो या शेह्तूत ,कैना बेरीज हों या रैस्प या फिर ब्लेक बेरीज इनकी महीन शल्क (छिलका )से साई- क्लो-स्पोरा आसानी से अन्दर दाखिल होकर हमारी इंटेस-टा -इन्स को असर ग्रस्त कर देता है .नतीजा होता है अति -सार (उलटी -दस्त ,डायरिया ),शरीर में पानी की कमी ,पेट की एंठन .अलवा इसके पेस्ट -ई -साइड्स आसानी से इसकी शल्क से अन्दर दाखिल हो जातें हैं .इसीलियें इन्हें भी ठीक साफ़ पानी से धोकर ही खाना चाहिए .
बुधवार, 25 अगस्त 2010
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