सुगर रियली डज़ मेक अस स्वीटर :(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई अगस्त १६ ,२०१० ,पृष्ठ १३ )।
एक अध्ययन के मुताबिक़ दिमाग में शक्कर की लोडिंग ,सुगर रश हमें आरोप प्रत्यारोप बदले की भावना को परे धकेलने की ताकत देता है .क्षमाशील बनाती है शक्कर ,उदारमना भी .हमबुरी खबर को भी पचा लेतें हैं .इसका मतलबयह हुआ क्षमा शीलता इस बात पर निर्भर करती है :कितनी सक्षमता से हमारा शरीर शक्कर का चय -अपचयन करता है .कितना सक्षमहै ग्लूकोज़ को ठिकाने लगाने में ।
केंटुकी विश्विद्यालय के रिसर्चरों ने अपने अध्ययन से यह निष्कर्ष निकालें हैं .जर्नल पर्स -नैलिटी एंड इन -डिवीज्युअल दिफ्रेंसिज़ में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है .
विशेष :पता लगा या जाना चाहिए निम्न लिखित पंक्तियों का लेखक कितनी शक्कर खाता था :
जो बड़ेन को लघु कहें,नहीं रहीम घट जाए ,गिरधर मुरलीधर कहें ,कछु दुःख मानत नाहीं ।
और इनका भी :क्षमा बड़ेन को चाहिए ,छोटन को उत्पात .
सोमवार, 16 अगस्त 2010
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