उपवास बेशक तन और मन की शुद्धि का ज़रिया है इसलिए साल में दो बार नव रात्र और रोजों का चलन रहा आया है .बेशक विषाक्त पदार्थों को शरीर से निकाल बाहर करतें हैं व्रत और उपवास लेकिन उपवास के दौर में आप खाते क्यां हैं एहम सवाल यह है ।कितना देर भूखों रहतें हैं ?
आपके बॉडी वेट और उससे भी ज्यादा आपके मसल वेट के अनुरूप प्रोटीन की आपूर्ति ज़रूरी है .यदि आपकी दैनिकी में कसरत या सैर नहीं तब आपको अपने प्रतिएक किलोग्रेम वजन के लिए ०.८ ग्रेम प्रोटीन तथा यदि आप नियमित जोगर हैं ,जिम जातें हैं ,ज़रूरी व्यायाम आपकी दिन चर्या में शामिल है ,तब आपको प्रति किलोग्रेम भार बॉडी वेट के हिसाब से १-३ ग्रेम तक प्रोटीन की ज़रुरत बनी रहती है फिर चाहें व्रत हो या उपवास .और प्रोटीन में भी आप मीट(मांस )की जगह पनीर जो सपरेटा दूध से तैयार किया गया हो तथा सोया ,टोफू (कम चिकनाई युक्त )तथा दूसरे प्रोटीन सम्पूरकों को स्थान दीजिये ।
क्या है आदर्श खुराक व्रत उपवासियों के लिए ?
उपवास का भोजन :
(१)नाश्ता :फलों के साथ दही का योग एक तरफ आवश्यक अमीनो -अम्लों तथा दूसरी तरफ कार्बो -हाइड्रेट्स की ज़रूरीयात को पूरी करवा देता है .फलों में भी सेब (एपिल ),पपीता ,स्वीट लाइम बेहतर हैं क्योंकि इनका ग्लाईकेमिक इंडेक्स कम होता है .इनके सेवन के बाद खून में शक्कर का स्तर एक दम से नहीं बढ़ता है ,अपेक्षा कृत धीरे धीरे और कम बना रहता है .इसलिए ब्लड सुगर लेविल में उछाल से आप बचे रहतें हैं .हाई -ग्लाईकेमिक इंडेक्स वाले फल पहले ब्लड सुगर लेविल को यकदम से बढा देतें हैं और फिर खून में शक्कर का स्तर एकदम से (अपेक्षाकृत जल्दी गिरने लगता है ).गिरकर हाइपो -ग्लाकेमिया की वजह भी बन सकता है ।
उपवास का मतलब आकस्मिक बदलाव नहीं होना चाहिए खुराख में ।
सुबह शाम के भोजन में ज्यादा अंतर रहने से कई लोग अम्ल शूल (एसिडिटी )की शिकायत कर सकतें हैं .उपवास के दिन एसिडिटी होने पर एंटा- सिड(अम्ल को उदासीन बनाने वाले नुश्खें )अपने पारिवारिक डॉ के परामर्श पर ही लें ,मन मर्जी से नहीं ।
उपवास में दोपहर का भोजन :साबूदाना खिचड़ी बा शर्ते इसमें घी तेल बहुत ज्यादा ना हो ,मैश्ड पुटेतोज़(उबले -मसले हुए मुलायम आलू ,आलू की पिठ्ठी ,के साथ लेना स्वास्थ्यकर रहेगा ।
दो मेजर मील्स के बीच भूख लगने पर : फल लें , ड्राई फ्रूट्स (मेवे )खजूर (डेट्स )या फिर कोई ज्यूस ले सकतें हैं ।
उपवास में रात का भोजन :इसमें भरपूर सलाद होनी चाहिए (ब्रोक्क्ली ,गाज़र ,लेत्तुस ,केबेज आदि ),एक चपाती ,पनीर या फिर सोया या दाल .दही के साथ थोड़ा अंकुरित ले सकतें हैं ।
रा फूड्स से बचिए इस दौर में .खूब पानी पीजिये .अम्ल शूल से बचाव रहेगा ।
कसरत बस उतना भर कीजिये जो आपके मसल मॉस को बनाए रहे .हाड तोड़ बर्न आउट से बचें क्योंकि इस दरमियान आपका दम ख़म (एनर्जी लेविल उतना अकसर नहीं रहता है )।मसल मॉस ना घटाएं .
तेज़ दौड़ने वाले उतना तेज़ ना दौड़ें .मसल मॉस को जलाना नहीं है ऊर्जा उड़ा कर ।
सन्दर्भ -सामिग्री :फास्टिंग ,फीसटिंग(हेयर इस आल यु नीड टू नो अबाउट दी डूज़ एंड डोंट्स ऑफ़ फिटनेस एंड डाईट ड्यूरिंग दी फास्टिंग पीरियड )/मुंबई मिरर ,अगस्त २७ ,२०१० ,पृष्ठ २८
शनिवार, 28 अगस्त 2010
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