मूस ऑफर्स क्ल्युऊज़ टू आर्थ -राइटिस काज :(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त १८ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
अब से कोई सौ साल पहले लेक सुपीरियर के एक टापू पर पाया जाता था बड़े और चपटे सींगों वाला एक वृहदाकार जंगली जानवर .उत्तरी अमरीका में इसे मूस कहा जाता था .जबकि योरप और एशिया वासी इसे एल्क कहते थे ।
यह एक बड़े डील डौल का हिरन ही है जो योरप के उत्तरी हिस्से ,एशिया और उत्तरी अमरीका मेंआज भी पाया जाता है .उत्तरी अमरीका में इसे मूस ही कहा जाता है ।
इसी शाकाहारी जीव पर संपन्न अध्ययन आर्थ -राइटिस का अता पता देते प्रतीत हो रहें हैं ।
ऐसा प्रतीत होता है लेक सुपीरियरके उस द्वीप पर रहने वाले इन जंगली हिरणों में से अनेक इस रोग से ग्रस्त रहें हैं .इनमे इस रोग के लक्षण मनुष्यों में होने वाले आर्थ्राइतिस से अलग नहीं रहें हैं ।
शाश्वत सवाल मुह बाए खड़ा रहा है ,आखिर क्यों होता है यह रोग ?रोग कारक क्या रहें हैं ?
१९५८ में आरम्भ हुआ एक अध्ययन अब इसकी कुछ खोज खबर टोह देता प्रतीत होता है .दी न्यू -योर्क टाइम्स ,साइंस टाइम्स, में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़ "बिग मूस "ने इस सवाल का ज़वाब लगता है मुहैया करवा दिया है .जीवन के आरम्भिक चरण में कुपोषण इसकी वजह बनता आ रहा है ।
कुछ लोगों में आर्थ -राइटिस गर्भ काल के कुपोषण से जुड़ा है ,कुपोषण जो बाल्यकाल तक चलता रहा .
गौर तलब रहेगी यह वजह आम औ ख़ास के लिए ?
बुधवार, 18 अगस्त 2010
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