वांट अर्नोल्ड -लाइक बाई -सेप्स ?जस्ट लिफ्ट लाईट वेट्स ,सीक्रेट्स लाईज़ इन डूइंग रेप्स(रीपीट्स ) अन्टिल फटीग सेट्स इन (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई अगस्त १३ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
मसल मॉस मेंज्यादा इजाफा करना है तो भारी वजन उठाइये आम तौर पर ऐसा ही माना समझा जाता है लेकिन हल्का वजन अपने आप को थकाने की हद तक बार बार उठाते रहने से भी फायदा उतना ही पहुंचता है ।
मसल साइज़ बढाने के लिए भारी वजन ही उठाया जाए यह ज़रूरी नहीं है .असल बात है पेशी को प्रेरित करना नया मसल मॉस बनानेके लिए ,नै पेशी बना ने के लिए,नै प्रोटीन तैयार करवाने के लिए . पेशी का आकार और पेशीय द्रव्यमानधीरे धीरे आपसे आप बढ़ जाता है .
असल बात है पेशी को थकाना उसमे जब तक दम ख़म है आयरन पम्प करते चले जाना .पूरा दम ख़म लगाकर परेशानी झेलते हुए कराहते हुए आवाजें गले से निकालते हुए भारी बोझ उठाना ज़रूरी नहीं है मसल मॉस बढाने के लिए .मक मास्टर यूनिवर्सिटी के साइंसदानों ने अपने ताज़ा तरीन अध्ययन से यही निष्कर्ष निकालें हैं .काइनेसिओलोजि के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर स्टुअर्ट फिलिप्स की देख रेख में अध्ययन संपन्न हुआ है .हालाकि अध्ययन के लीड ऑथर तथा सीनीयर पी एच डी छात्र निकोलस बर्डने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है जिसके लिए फिलिप्स महोदय ने उनकी प्रशंशा भी की है .करिश्माज्यादा वजनउठाने में नहीं पेशीको थकाने में है । .
अध्ययन में हलके वजन ही काम में लिए गये . जितना वजनएक सब्जेक्ट उठा सकता है उसका तीस फीसद भर ही रखा गया अध्ययन मेंहलके वजन की सीमा के रूप में .जबकि हेवी वेट्स की सीमा अधिकतम उठाये जा सकने लायक वजन की ९० फीसदही रखी गई .९० -८० फीसद रेंज में सब्जेक्ट एक वजन को ५-१० बार उठाने के बाद ही थक जाता है जबकि ३० फीसद की रेंज में वह ऐसा २४ बार कर सकता है .तब कहीं जाकर पेशी थक कर चूर होती है ।यही निष्कर्ष अध्ययन से निकला है .
जिम एन -थू -ज़ियास्ट्स के लिए अध्ययन के संकेत साफ़ हैं. खासकर बुजुर्गों के लिए ,कैंसर पेशेंट्स के लिए जिनका अस्थि पंजर (कंकाल छीजने लगा है)या फिर जो किसी सदमे से उबर रहें हैं स्ट्रोक के बाद स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहें हैं ।
अलबत्ता इंडोर -र्फिंस की फ्लडिंग अपेक्षाकृत ज्यादा वजन उठाने से ही होती है .इसी वजह से लम्बी दौड़ का धावक भी दौड़ संपन्न होने पर देर तक सुखानुभूतिका अनुभव करता है .
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1 टिप्पणी:
इस उपयोगी जानकारी के लिए आपका हार्दिक आभार।
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सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
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