सेकिंड हैण्ड स्मोक टू कैन आल्टर जींस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २१ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
एक अभिनव अध्ययन ने आगाह किया है ,सेकिंड हैण्ड स्मोक भी एक व्यक्ति के जींस को तब्दील कर सकता है ।
(प्राइमरी स्मोक वह होता है जो कश छोड़ने के रूप में धूम्रपानी के मुख से बाहर निकलता है ,सेकेंडरी स्मोक उसे कहतें हैं जिसका सेवन उसके गिर्द मौजूद लोगों को झेलना पड़ता है ,साइड स्ट्रीम स्मोक दो कश के बीच सिगरेट से निकलने वाला धुआं है ।).
अमरीकन जर्नल ऑफ़ रिस्पाय -रेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसन में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक़ धूम्रपानी की सोहबत में रहने वाले लोगों को भविष्य में सेकेण्ड हैण्ड सिगरेट स्मोक का(एक्सपोज़र टू लो लेविल ऑफ़ स्मोकका ) खमियाजा फेफड़ों की बीमारी के रूप में भुगतना पड़ सकता है . जीवन इकाइयों(जींस ) के काम करने के ढंग पर इस धुयें के जैविक असर का आकलन अध्ययनपहली मर्तबा किया गया है ।
रिसर्चरो के मुताबिक़ धुयें का निम्नतर स्तर भी श्वसनी क्षेत्र तथा एयरवेज़ का अस्तर बनी कोशाओं के जीवन खण्डों(जींस ) को असरग्रस्त करता है ।
"इविन एट दी लोवेस्ट डिटेक्टी -बिल लेविल्स ऑफ़ एक्सपोज़र ,वी फ़ाउंड डायरेक्ट इफेक्ट्स ऑन दी फंक्शनिंग ऑफ़ जींस विदिन दी सेल्स लाइनिंग दी एयर वेज़ ,"सैद रोनाल्ड क्र्यस्तल ,सीनीयर ऑथर ऑफ़ दी स्टडी .,एंड चीफ ऑफ़ दी डिविज़न ऑफ़ पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसन एट न्यू -योर्क -प्रेस्ब्य-तेरियन /वीएल कोर्नेल एंड चेयर- मेन ऑफ़ दी डिपार्टमेंट ऑफ़ जेनेटिक मेडिसन एट वेइल कोर्नेल मेडिकल कोलिज इन न्युयोर्क सिटी .
हेवी स्मोकर्स के मामले में जो "जींस" आमतौर पर सक्रीय होकर" ऑन -ऑफ़" होतें रहतें हैं वही उनके मामले में भी ऐसा ही करतें हैं जिन्हें धुयें के कमतर स्तर को झेलना पड़ता है मजबूरन .यानी स्मोकर्स के आसपास के लोगों के साथ भी ऐसा ही अनर्थ होता है .यानी करे मुल्ला पिटे जुम्मा ।
क्रिस्टल और उनकी टीम ने कुल तीन अलग अलग वर्गों के १२१ लोगों का परीक्षण किया .(१)नॉन -स्मोकर्स (२)एक्टिव स्मोकर्स .(३)लो एक्सपोज़र स्मोकर्स ।इन सभी में -
निकोटिन तथा कोतिनिने (कोटि -निन) के स्तर का पेशाब में पता लगाया गया .ये दोनों ही मार्कर्स ऑफ़ स्मोकिंग विद -इन दी बॉडी कहे जातें हैं .
अब इनमे से हरेक केपूरे जीनोम की स्केनिंग की गई .ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कौन कौन से जींस एक्टिवेट या दी -एक्टिवेट (सक्रीय या निष्क्रिय हुएँ हैं एयर वेज़ के )हुएँ हैं इनके एयरवेज़ की सेल्स लाइनिंग के .निकोटिन और कोतीनिन के हरेक स्तर का जेनेटिक एब्नोर्मेलितिज़ (आनुवंशिक गडबडी )से साफ़ सम्बन्ध दिखलाई दिया ।
इसका मतलब यह हुआ -नो लेविल ऑफ़ स्मोकिंग ,ऑर एक्सपोज़र टू सेकेण्ड हैण्ड स्मोक इज सेफ .स्मोकिंग हर हाल में बुरी .सबके लिए बुरी .,जो भी स्मोकर की सोहबत में हैं ,सावधान हो जाएँ ।चेताना हमारा काम है बाकी आपजाने ?
आल्सो दी जेनेटिक चेंज़िज़ आर लाइक ए "कैनरी इन ए कोल माइन".,वार्निंग ऑफ़ पुटेंशियल लाइफ थ्रेट -निंग डिजीज .
शनिवार, 21 अगस्त 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें