व्हाई डू मेंस शर्ट्स हेव बटन्स ओं दी लेफ्ट साइड व्हाइल वोमेन्स शर्ट्स हेव देम ऑन दी राईट ?(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया अगस्त २२ ,२०१० ,पृष्ठ २८ ,ओपन स्पेस )।
इसके पीछे की तार्किकता को समझने के लिए तकरीबन सौ साल पीछे की ओर लौटना होगा .वजह आदमी खुद सज धज करता है .खुद ड्रेस अप होता है .और आज से नहीं सदियों से यही परम्परा रही आई है .जबकि इतिहास के झरोखे से देखें तोमहिलाओं को सजाने धजाने (उनकी सज धज का जिम्मा ) उनकी महिला सहायिका के हाथों में रहा है .रानियों की सज धज बांदियां ही करतीं थीं .अब औरत हो या मर्द ज्यादातर राईट हैन्डिद ही होतें हैं ,खब्बू कम होतें हैं .महिला सहायक भी ज्यादा तर राईट हैन्डिद ही होतीं हैं .इसलिए जब वह किसी और को कपडे पहनातीं हैं तब उन्हें इसी में सुभीता होगा सामने वाले के कपडे के बटन उनके (मैड्स के )दाहिने ओर ही पड़ें .जबकि यहसामने वाली महिलाके वस्त्र का बायाँ हिस्सा होगा .
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