सोमवार, 9 अगस्त 2010

वैकल्पिक : चिकत्सा :मिथ और यथार्थ ;

मिथ अबाउट आल्टर -नेटिव एंड होलिस्टिक हेल्थ केयर
मिथ :वैकल्पिक चिकित्सा की जड़ें बुराई और पाप में हैं टोने टोटके ,रहस्य में डूबी हुईं हैं ।
यथार्थ :यह विचार पश्चिमी समाजों ने पल्लवित किया है जिनका नेटिव और इन्दिजिनीय्स कल्चर्स से सैदेव ही वैर भाव रहा है .डाह रही है सौतिया .देशज लोग और देसज संस्कृति इन्हें फूटीं आँख नहीं सुहाती क्योंकि यह जानतें हैं और अच्छी तरह से मानतें हैं मूल -भूत ,बुनियादी चिकित्सा इन्हीं लोगों के पूर्वजों की दाय है .
गौर तलब है प्राचीनतम सभ्यताओं के मनीषी अति -रिक्त मेधा ,बल बुद्धि ,शास्त्र (शिक्षा ही नहीं व्यवहारिक शिक्षा) के धनी मानी लोग थे ।
सम्पूर्ण काया और मन से जुडी रही है होलिस्टिक मेडिसन जिसका सारा जोर मन बुद्धि काया और मूल भूत चेतना (स्पिरिट )के संतुलन पर रहा है ।
मिथ :फौरी रुझान ,एक वक्ती प्रवृत्ति है होलिस्टिक हेल्थ केयर ।
यथार्थ :यह चिकित्सा एक परम्परा है ना की अल्पकालिक फैशन या कोई ट्रेंड जो अपनी मौत खुद मर जाएगा .अलबता पश्चिमी सोच परस्तों की यह खाम - खयाली ज़रूर है .उनके अंतस में बैठा खौफ इसे नकारता है जबकि अधिकाधिक आज वैकल्पिक चिकित्सा मैन स्ट्रीम एलो -पैथी के साथ लिव इन रिलेशन ,एक सिम्बियोतिक- लिविंग ,सह जीवन बनाए हुए है .
ऐसा कोई प्राणी पृथ्वी नाम के इस ग्रह पर होगा भी नहीं जिसने कभी ना कभी वैकल्पिक चिकित्सा को गले ना लगाया हो ?हर्बल रेमेडीज और विटामिन -चिकित्सा साफ़ तौर पर आनुषांगिक बनी हुई है एलो -पैथी की .

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