फ्रॉम दी हार्ट डॉ
निआसिन, ए वेरी स्पेशल विटामिन (हेल्थ /प्रिवेंशन ,जुलाई ,२०१० ,पृष्ठ २६ -२७
पचास साल बाद एक बार फिर निआसिन का जादू सिर चढ़ के बोल रहा है हृद रोग माहिरों के .अबसे आधी शती पहले पता चला था निआसिन रक्त से एल डी एल (बेड कोलेस्ट्रोल )को कम करने और एच डी एल(गुड कोलेस्ट्रोल ) के स्तर को बढाने में सहायक हो सकता है बा -शर्ते इसकी खुराख को रोजाना १००० मिलिग्रेम बनाए रखा जाए ।
आज फिर उपलब्ध गिनती के विकल्पोंमे निआसिन को एक बढिया ज़रिया समझा जा रहा है गुड कोलेस्ट्रोल (एच डी एल -सी )को बढाने का .धमनियों में से घटिया कोलेस्ट्रोल को यह वापस लीवर में भेज देता है .आथी -रियो -स्केलेरोसिस के कदम यह पीछे की और मोड़ सकता है .इट कैन रिवर्स आथी -रियो -स्केलेरोसिस .,एंड स्टॉप दी डिजीज इन इट्स ट्रेक .
पता चला है निआसिनकानियमित सेवन गुड कोलेस्ट्रोल का रक्त में स्तर १५-४०फ़ीसद तक बढा सकता है .इसकी आदर्श खुराख बा -शर्ते १ -१.५ मिलिग्रेम रोजाना बनाए रखी जाए .
"दी मेजर मिकेनिज्म अपीअर्स टू बी बाई प्रीवेंटिंग दी क्लीअरेंस ऑफ़ एच डी एल्स करियर प्रोटीन ,अपो -लिपो -प्रोटीन ए -१ ,आफ्टर इट रिटर्न्स फ्रॉम दी आर्तरीज़ बेक टू दी लीवर ."
एज ए रिज़ल्ट ,दीज़" एम्प्टी" करियर पार्तिकिल्स आर रिसाइकिल्ड बेक इनटू दी सर्क्युलेशन एंड फ्रीड फॉर फर्दर रिवर्स कोलेस्ट्रोल ट्रांसपोर्ट .
अनेक नैदानिक अध्धय्यनों (क्लिनिकल स्टडीज़ )से निआसिन से ह्रदय को होने वाले फायदों का आदिनांक खुलासा हो चुका है ।
अलबत्ता आजकल निआसिन का स्तेमाल ज्यादातर अन्य कोलेस्ट्रोल कम करने वाली दवाओं(स्तेतिंस आदि ) के साथ किया जा रहा है .फायदाअकेले निआसिन से भी उतना ही पहुँच रहा है .यहविटामिन निआसिन गुड कोलेस्ट्रोल को ४३ फीसद तक बढाने में कारगर सिद्ध हुई हुआ है .अलावा इसके दिल के दौरों की पुनरावृत्ति भी कमतर हुई है .धमनियों का बारहा लौट लौट कर अवरुद्ध होना भी कमतर हुआ है ।
दीर्घावधि अध्धय्यनों में कुल मिलाकर मृत्यु दर निआसिन के दीर्घावधि स्तेमाल से कमतर हुई है .एक अध्धय्यन में यह फायदा आइन्दा १५ सालों तक नसीब हुआ है .निआसिन का स्तेमाल मुल्तवी रखने के बाद भी ।
एक अध्धयन से पता चला ,आथी -रीयो -स्केले -रोसिस के आरंभिक चरण में केरोतिद आर्टरी अन्दर से खुर- दरी होने लगती है .इसका अस्तर मोटा होने लगता है .ऐसा खासकर उन लोगों में होता है जिनका एल डी एल बढाहुआ रहता है ,एच डी एल कमतर बना रहता है ,स्तेतिन लेते रहने के बावजूद .८ महीनो में ही निआसिन के सेवन से केरोतिद आर्टरी की मोटाई कमतर होने लगी .जबकि एल डी एल को एक एजेंट एज़ितिमाइब से कम रखने का कोई असर नहीं पड़ा .ज़ाहिर है निआसिन का स्तेमाल जादुई साबित हुआ ।
निआसिन के ज्ञात पार्श्व प्रभावों में फेश्यल इचिंग और फ्लशिंग शामिल रहें हैं .इसीलिए एक हिचकिचाहट माहिरों में इसके स्तेमाल को लेकर बनी रही .लेकिन अब पता चला है इसके सेवन से पहलेरोज़ एक एस्पिरिन लेते रहने से इन अवांछित प्रभावों से निजात मिल जाती है .निआसिन का एक्स्टेंदिद रिलीज़ संस्करण भी इन दिनों मौजूद है .चंद हफ़्तों में पार्श्व प्रभाव वैसे ही नदारद हो जातें हैं ।
गौर तलब है ,अवांछित प्रभाव निआसिन के असरकारी होने की इत्तला देतें हैं ।
बेशक निआसिन की हाई -डोज़िज़ ब्लड सुगर में ४-५ फीसद इजाफा कर सकतीं हैं .लेकिन यदि निआसिन की डोज़ रोजाना २ मिलिग्रेम से कम रखी जाए तब मधुमेह तथा प्री -दाय्बेटिक्स(जिन लोगों में पूर्व अवस्था आती दिखलाई देती है मधु -मेह की ) को लिपिड प्रोफाइल्स के प्रबंधन में किसी भी प्रकार की मुश्किल पेश नहीं आती है देखना यह होता है किसी भी दवा या विटामिन काकुल मिलाकर फायदा ज्यादा है या नुक्सान ।पलड़ाबेहद लाभ की तरफ झुका हुआ दिखलाई दिया है .,नुकसान नाम मात्र का .निरापद है निआसिन .दिल की दोस्त है विटामिन निआसिन .
जो हो फिलवक्त अनेक अध्धय्यन ज़ारीहैं इस एच डी एल रेजिंग थिरेपी के एडिटिव इफेक्ट्सऔर परिभाषा का जायजा लेने के लिए ..
रविवार, 8 अगस्त 2010
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