एजिंग वोएज़(वोज ) :गोइंग ग्रे इज मेंस वर्स्ट नाईट- मेअर(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त ५ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
सफ़ेद बालों का खौफ सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बढती उम्र के साथ मर्दों को भी सताने लगता है ।
एक सर्वे के मुताबिक़ बढती उम्र का दुस्स्वप्न बनकर आतें हैं धौले बाल .सर्वे में बढती उम्र के५० फीसद से भी ज्यादा लोगों का सबसे बड़ी परेशानी का सबब धौले बाल ही बनें हैं .
बालों का झड़ना छीजना ४० फीसद मर्दों को कचोटता है .नाक और कानों में अवांछित बालों का बसेरा ३८ फीसद मर्दों की खीज की वजह बनता है तो ओवरवेट होना ३७ फीसद के दुःख की वजह बनता है .३० फीअद को मुक्तावली का बेआब होकर पीला पड़ जाना सताता है .
ध्यान रहे इस ब्रितानी सर्वे में कुल मिलाकर २००० मर्दों से पूछ -ताछ की गई .४५ साला लगते ही मर्द अपने लुक्स के प्रति सचेत हो जातें हैं .(महज़ खाम खयाली है ,मर्दों का बनाया हुआ मानसिक पुलाव है यह मानना बखानना -ए मेन इज एज ओल्ड एज ही थिंक्स व्हाइल ए वोमेन इज एज ओल्ड एज सी लुक्स .).
सर्वे इस खामखयाली की पोल खोलता है ।
४५ -५४ साला मर्दों में से एक तिहाई अपने नैन नक्स लुक्स केबाबत कमसे कम चारचीज़ों ( मामलों )को ना पसंद करने लगतें हैं .जबकि औसत १० में से एक का है .यानी औसतन मर्दों को अपने लुक्स की एक आद बात ही कचोट ती है ।
बेशक ग्रे - हेअर्स बुजुर- गीयत के गाम्भीर्य ,गुरुता ,व्यवहार की गंभीरता की निशानी,शालीनतारहें आये हैं ,धवल केश राशि ,उम्र की सौगात समझी गई है .लेकिन वह गुज़रे ज़माने की बात थी .परम्परा थी .लेकिन अब वह सब अतीत है .यही कहना है मिन्टेल मार्किट सर्वे फ़र्म के एक प्रवक्ता का ।
उम्र के साथ आकर्षण का छीजना ,भौतिक परिवर्तनों का ठाह्राव मिड लाइफ क्राइसिस को एक लात और मार देता है .४५ के पार मर्द अपने लुक्स को लेकर असंतुष्ट रहने दीखने लगतें हैं । खीझे खीझे फिरतें हैं ।
वो दौर और था जब कहते थे समझते थे -"आईना देख के ये देख संवरने वाले ,तुझपे ,बेजा तो नहीं मरतें हैं ,मरने वाले ."
अब आलम यह है :ये कहते, वो कहते,जो यार आता
( भई )सब कहने की बातें हैं ,कुछ भी ना ,कहा जाता ,
जब यार आता ।
अब आलम यह है :अंदाज़ अपना आईने में देखतें हैं ,वो
और ये भी देखतें हैं ,कोई ,देखता ना हो .
गुरुवार, 5 अगस्त 2010
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1 टिप्पणी:
बढ़िया लेख...अब पुरुष भी महिलाओं की तरह बनते संवरते हैं ..
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