गट जर्म्स बिहाइंड ग्ल्ट ऑफ़ एलर्जीज़ इन दी वेस्ट ?(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त ४ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
सर्व ज्ञात है तरह तरह के माइक्रोब्स ,पैथोजंस (रोगकारक ,जीवाणु ,ज़रासीम ,परजीवी आदि )हमारी अंतड़ियों में डेरा डाले रहतें हैं .यही तरह तरह की एलर्जीज़ ,अमाशय सम्बन्धी परेशानियों (क्रोनिक स्टमक अपसेट )यहाँ तक की मोटापे की भी वजह बनतें हैं .
रिसर्चरों ने पता लगाया है अमीर देशों के नौनिहालों के सन्दर्भ में यह बात काफी हद तक सटीक सिद्ध हुई है .ज़रासिमों की भरमार रहती है इनकी अंतड़ियों में ।एलर्जीज़ भी इन्हीं में ज्यादा और हर प्रकार की देखने को मिलतीं हैं .
रिसर्चरों ने योरोपीय यूनियन और बुर्किनो फासो के दूर दराज़ के अंचलों में रहने वाले नौनिहालों की अंतड़ियों में पाए जाने वाले माइक्रो -बायोटा(सूक्ष्म जीवाणुओं ,विषाणुओं ,परजीवी आदि )की तुलनातमक पड़ताल के बाद यह निष्कर्ष निकालें हैं .इसी के साथ एक विषमता का खुलासा हुआ लाइलाज बीमारियों और तरह तरह की प्रत्यूर्जता (एलर्जीज़ )के बारे में .अमीर देशों के बच्चों की अंतड़ियां जीवाणु को पनाह दिए रहतीं हैं .आंचलिकता ,नस्लियता (नस्ली भेद )के अलावा ,भौगोलिकता से भी बड़ी और अकेली वजह इसकी खुराख की विषमताएं हैं .उद्योगिक रूप से विकसित कथित पहली दुनिया (अमीर देशों )के नौनिहालों को अकसर तमाम तरह की प्रत्यूर्जता से ग्रस्त पाया गया है ।
नेशनल एकादमी ऑफ़ साइंसिज़ की प्रोसीडिंग्स में अध्धय्यन के तमाम नतीजे प्रकाशित हुए हैं .इस दौर में प्रो -बायोटिक्स का चलन कुदरत के संतुलन को एक बार फिर से हासिल करने का ही प्रयास है .ताकि आदम जात स्वस्थ ,लीनर बनी रहे ।
गट बेक -टीरिया ,गट- माइक्रो -बायोटा का विनियमन करती है हमारी खुराख .जलवायु से भी आगे निकल कर .फ्लोरेंस विश्व -विद्यालय के साइंसदानों का भी यही अभिमत है .कन्वेंशनल विजडम भी हमें यही सिखाती आई है .जैसा अन्न वैसा मन .जैसा पानी वैसी वाणी .यु बिकम व्हाट यु ईट .
बुधवार, 4 अगस्त 2010
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