बुधवार, 4 अगस्त 2010

लो कार्बो -हाई -ड्रेट बनाम लो फैट डाईट के बाहर भी बहुत कुछ है

मैटर ऑफ़ हार्ट :लो -कार्ब स्कोर्स ओवर लो -फैट डाईट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त ४ ,२०१० ,पृष्ठ -१९ )।
कम चिकनाई और कम मीठा खुराख समान रूप से आपका वजन कम करने रखने में सहायक ज़रूर हो सकती है .लेकिन दीर्घावधि में मीठा खु - राख में कम करना ,कुछ हृद रोगों के जोखिम को कम रखने में ज्यादा मदद गार रहा हो सकता है ।
रिसर्चरों ने पता लगाया है भले ही लो -कार्ब डाईट अपेक्षाकृत ज्यादा चिकनाई युक्त रही हो लेकिन दिल के स्वास्थ्य,दिल की सेहत के लिए जोखिमज्यादा नहीं बढ़ाती है .अगरचे जो लोग दो साल तक लो कार्ब खुराख लेते रहे उनके रक्त में मित्र कोलेस्ट्रोल (गुड कोलेस्ट्रोल ,हाई -डेंसिटी -लिपो -प्रोटीन )का स्तर अपेक्षाकृत ज्यादा पाया गया ,बरक्स उनके जो इसी अवधि में लो -फैट रेजिमेन(कम चिकनाई युक्त खुराख का नियम निष्ठा से सेवन करते रहे थे )का पालन करते रहे थे .इतना ही नहीं उनका डाय -सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (रक्त चाप का निचला पाठ )भी कमतर पाया गया ।
इसका मतलब यह नहीं है यह बात सभी पर समान रूप से लागू हो .हर कोई लो -कार्ब डाईट से अपना कर वजन कम कर सकता है .टेम्पले यूनिवर्सिटी फिलाडेल्फिया के रिसर्चरों की यही राय है ।
दोनों ही खुराखों का अपना अपना फायदा है ,वजन को कम कमकरने रखने और हृद रोगों के खतरे के वजन को भी कम करने में .असल बात यह है आप किस खुराख पर कायम रह सकतें हैं दीर्घावधि में ।
जीवन शैली के अनुरूप आपको क्या माफिक आता है ?आप थोड़ा कसरत करें .वैट मेनेजमेंट के गुर सीखें .छोटे छोटे लक्ष्य लेकर चले .उनका हासिल दर्ज़ करतें चले .आपका व्यवहार बदलाव कुंजी है मोटापे को वजन को कम करने रखने की .एक शिड्यूल पर टिके रहें .

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