रविवार, 8 अगस्त 2010

घेतो माँ बाप कौन हैं ?

हू इज ए घेटो पेरेंट ?
ज़ाहिर है जो अपने बच्चों की परवरिश बदमिजाजी के साथ कर रहा है .अच्छी शिक्षा अच्छी सेहत का वास्ता तो दूर जो अपने ही बच्चों के साथ बदसुलूकी कर रहें हैं ऐसे सभी माँ -बाप "घेटो -पेरेंट" ही कहलायेंगें .जो बच्चों के साथ अभद्र भाषा से भी बहुत आगे निकलकर गाली गलौज मार पीट करतें हैं बेहूदा स्कूल मास्टर की हरकतों को भी जो शर्मिन्दा करदें ऐसे तमाम माँ -बाप घेटो -केटेगरी में ही आयेंगें .घेटो शब्द एक मानसिकता का ,पेरेंटिंग की बेहूदा शैली का परिचायक है .कबीलाई मानसिकता है परवरिश से जुडी ।
हो सकता है कुछ लोग इस शब्द प्रयोग पर ना भौं सिकोड़ें ,नस्ल भेद की अर्थच्छटा नजर आये उन्हें .वह चाहें तो इन्हें "बेड -पेरेंट "कह सकतें हैं हालाकि यह प्रियोक्ति (मंगल -भाषित ,यूफमिज्म )ही कहलाएगी .लेकिन चारा भी क्या है यहाँ हर गली नुक्कड़ पर एक राज ठाकरे बैठा है .जो हिंदी भाषी क्षेत्र के तमाम लोगों का घेटो -पेरेंट बना बैठा है .

कोई टिप्पणी नहीं: