कोलो -नाइ -जिंग स्पेस कैन सेव अस फ्रॉम एक्सटिंकशन :हाकिंग (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त १० ,२०१० ,पृष्ठ १५ )।
बिग थिंक पोर्टल को दिए एक हालिया साक्षात कार में मशहूर साइंसदान (अन्तरिक्षीय पिंडों और घटनाओं के अध्ययन के माहिर )ने आदम- जात ,कौम ,होमियो -सेपियन, की सलामती के लिए एक शती के बाद अन्तरिक्ष को अपना निवेश बना लेना ज़रूरी बतलाया है .दीर्घावधि कौम के बने रहने के लिए भी यह लाजिम है .अन्तरिक्ष की ओर वक्त ज़रुरत के मुताबिक़ कूच करने की कूवत और प्रोद्योगिकी हमारे पास हो .
हमें मिलबैठकर घटनाओं और समस्यानों का सही और सटीक हल निकालना होगा विमर्श करना होगा संभावित आपदाओं के बारे में ।वरना अनहोनी को कोई टाल नहीं सकता ।
१९६३ का क्यूबा मिसाइल संकट अभी भूला नहीं है तब हम बाल बाल बच गए थे .(ना जाने किसकी दुआओं का प्रताप था )।
भविष्य में इसकी बारहा पुनरावृत्ति के मौके आ सकतें हैं .हमें बुद्धि -मानी से फैसले लेने होंगें आइन्दा के लिए .(ज़िक्र ना किया जाए तो बेहतर है आतंकियों को शह देने वाले मुल्कों का ,लादेन फिनोमिना का .दहशत गर्दोंके हाथआसकने वाले एटमी असलाह का )।
अगली दो शती तक संकट को टाले रखना होगा जबतक की हम मेंअपने पर्यावरण ,हवा, पानी, मिटटी को , पारिस्थितिकी ,पारी -तंत्रों को अपने अनुकूल बनाए रखने की तमीज ना आजाये (फिलवक्त तो दंभ ही ज्यादा है ।).
मानवता इतिहास के एक अप्रत्याशित मोड़ पर आखड़ी है .एक खतरनाक मोड़ है यह ,बढती आबादी ,सीमित संशाधन ,अंत बर्बादी ?
जबकि प्रोद्योगिकी बीमारियों और बदलते पर्यावरण की नव्ज़ को टटोल नहीं पा रही है .स्वास्थ्य के अनुकूल इन्हें बदलना तो दूर की बात है ।
बेशक गत सौ सालों का हासिल शानदार है लेकिन आइन्दा हमें अन्तरिक्ष से मुखातिब होना होगा .वहीँ जाकर रहना धोना होगा .बस सौ साल ओर हैं इस काम के लिए .
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1 टिप्पणी:
राम-राम भाई !
बहुत गूढ़ बात कही है। बड़ी दूरदृष्टि के मालिक हैं जो यह सलाह दे रहे हैं।
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