टीन्स एडिकतिद टू नैट मोर लाइकली टू गेट ब्लूज़ :स्टडी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त ४ ,२०१०,पृष्ठ १९ )
एक सद्य प्रकाशित अध्धय्यन के मुताबिक़ जो किशोर -किशोरियां इंटरनेट की लत पाले हैं ,सामान्य से हठकर बेहिसाब ,पैथो -लाजिकलि ,ओबसेशन की हद तक इंटरनेट से चिपके रहतें हैं ,उनमे अवसाद के खतरे का वजन दोगुना से भी ज्यादा बढ़ जाता है .इंटरनेट का सामान्य (केज्युअल प्रयोग ही भला )।हूकिंग या फिर एडिक्सन ठीक नहीं ।
आर्काइव्ज़ ऑफ़ पीडियाट्रिक एंड एडोलिसेंत मेडिसन में प्रकाशित इस अध्धय्यन में १०४१ किशोर किशोरियों से एक प्रश्नावली भरवाई गई .तदनंतर इनमे मौजूद अवसाद और संभावित बे -चैनी(एन्ग्जाय्ती )का रिसर्चरों ने पता लगाया .सभी दक्षिण चीन के गुंग्ज़ -होऊ प्रांत के थे ।
इनमे से ९४० ने सामान्य तौर पर ,नियंत्रित तरीके से लेकिन ६२ ने बे -हिसाब, पैथा -लोजिकली इंटरनेट का स्तेमाल किया और २ ने तो तमाम हदों को ही पार कर दिया ।
नौ माह बादएक बारफिर इनकी मनो -वैज्ञानिक दशा और दिशा का जायजा लिया गया .बेहिसाब ,अनियंत्रित तरीके से इंटरनेट से चिपके रहने वालों में अवसाद के खतरे का वजन सामान्य यूज़र्स से ढाई गुना से भी ज्यादा बढा हुआ दर्ज़ किया गया ।
अब किशोरावस्था में स्ट्रेस की इतर वजहों को मद्दे नजर रखते हुएभी इन नौ माह के दौरान खतरे का वजन डेढ़ गुना ज्यादा उन किशोरों में बढा हुआ मिला जिन्हें इंटर नेट की एक तरह से लत ही पड़ चुकी थी .हुकिंग हो चुकी थी जिनकी इंटर -नैट से ,सामान्य यूज़र्स के बरक्स ।
इसका मतलब यह हुआ जिन लोगों की मानसिक स्थिति ठीक ठाक है वह भी इंटर -नैट एडिक्सन से मानसिक विकारों की चपेट में आ सकतें हैं ।अवसाद उनमे से एक है .
इस लत के लक्षण इतर एडिक्संस से जुदा नहीं हैं .बेशक लडके इस लत की ज्यादा चपेट में हैं लेकिन लडकियों में भी यह बढती हुई देखी जा रही है .
बुधवार, 4 अगस्त 2010
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