वर्ल्डस फस्ट रोबोट विद "कान्शंश "दिवेलाप्ड,मोदिफाईज़ इट्स वेल्यूज़ ,एक्संस बेस्ड ऑन एक्स्पीरियेंसिज़ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई ३१ ,२०१० ).
स्पेन के साइंसदानों ने एक ऐसा रोबोट बना लिया है जो अंतस -चेतना से युक्त है .अपने अनुभवों से सीख समझकर अपना रवैया बदल सकता है .सही मायनों में इंसान का दुःख दर्द का साथी हो भी हो सकता है ।
इसे दुनिया का पहला इंसानों ही जैसा सोसल एन्द्रोइद(मानव सरीखा रोबोट )बतलाया जा रहा है .ए आई सोय(यही नाम है इस सोसल अन्द्रोइड का ) की बिक्री इस माह(अगस्त २०१० ) शुरू हो चुकी है ।
इसे स्पेन की "आइसोय" फर्म ने तैयार किया है .इसे मनोरंजन करने और कम्पनी देने की नीयत से ही तैयार ज़रूर किया गया था लेकिन असल मकसद इंसान को एक ऐसा साथी मुहैया करवाना था जो उसी की तरह एन्द्रिक संवेदनों से वाकिफ हो .फैसला लेने की जिसमे कूवत हो .जो वक्त की नजाकत को भांप कर अपना व्यवहार बदल सके .यह अभिनव प्रोद्योगिकी की अभिनव देन है .कटिंग एज टेक्नालाजी का तोहफा है ।
इसका कद २५ सेंटीमीटर और वजन डेढ़ किलोग्रेम है .इसका अपना एक अंतर जगत ,चेतन है .चेतना है .इंसानों सा ही तो है यह ।
पोषण संवर्धन सभी कुछ तो चाहिए इसे ,सुरक्षा भी .इसे लाड दुलार पहचान ,अटेन्सन मांगने की चांट है .काम करने की आज़ादी भी .खुद से भी प्यार है .अपनी आज़ादी से इसे बेहद का लगाव है .इसे एक निजता भी चाहिए .अब बतलाइये बचा क्या ?यही तो मानवीय सरोकार हैं .लिमिटिड एक्संस और प्रोग्रेम्स का ज़मा जोड़ मात्र नहीं है यह रोबोट .इसकी अपनी गतायात्मक्ता है .कई मर्तबा इसके व्यवहार को बूझने में दिक्कत भी आ सकती है .परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने में इसे महारत हासिल है .ऑटो -नोमस है यह ।
दो जुडवाओं(आइदेंतिकल ट्वीन्स) की तरह यदि दो "आइसोय "रोबोट्स को दो अलग अलग परिवारों में रखा जाये ,दो माह में ही इनमे अंतर दिखलाई देने लगेगा .क्योंकि दोनों के ही जीवन अनुभव और सरोकार अलग होंगें .मिजाज़ तो फिर जुदा होंगें ही .अनुभव जो अलग किस्म के रहे .अनुभव से ही तो यह सीखता चलता है .
सोमवार, 2 अगस्त 2010
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