सोमवार, 2 अगस्त 2010

तनाव रोधी टीके की दिशा में उठ चुकें हैं कदम .

फ्रेट नोट :सून ,ए वेक्सीन टू काम्बेट स्ट्रेस ,जेब टू आल्टर ब्रेन केमिस्ट्री ,क्रियेट 'फोकस्ड काम ':एक्सपर्ट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,ऑगस्ट २ ,२०१० )।
केलिफोर्निया के साइंसदानों ने लगता है एक स्ट्रेस -रोधी टीका बनाने की दिशा में पहला कदम आगे बढा दिया है .स्टैनफोर्डविश्व -विद्यालय में न्यूरो -साइंस के प्रोफ़ेसर रोबेर्ट सपोल्स्क्य ३० बरसों की शोध के बाद विश्वाश पूर्वक कहतें हैं ,ब्रेन केमिस्ट्री को तब्दील कर प्रशांति पैदा की जा सकती है .यह रिसर्च योग और पिल्स का आनुवंशिक तौर पर गढ़ा गया विकल्प होगी ।
वास्तव में लाइलाज ,हमेशा बनी रहने वाली स्ट्रेस डायबिटीज़ और हृद रोगों की भी देन होतीं हैं .अपने कीनिया प्रवास के दौरान आपने पशुओं को स्ट्रेस से होने वाली नुकसानी का अध्धय्यन किया था .आप तभी से हारमोन "ग्लुको -कोर्टिको -स्तीरोइड्स "पर काम कर रहें हैं .हम जानतें हैं यह हारमोन हमारी रोग प्रति -रोधी -प्रणाली का हिस्सा है ,जो हमें कुदरती तौर पर कैंसर और इन्फ्लेमेसन से बचाए रहता है .
सभी स्तन - पाई जीव ये हारमोन बनातें हैं ,यही उन्हें संकट से जूझने के काबिल बनातें हैं ।
आधुनिक जीवन की आपाधापी में यह हारमोन कुछ ज्यादा ही बन जातें हैं .और फिर बने ही रहतें हैं .दैनिकी में इन्हें रोकनाटर्न-ऑफ़ करना मुश्किल हो जाता है ।
यह हारमोन विषाक्त होकर हमारे दिमाग की कोशाओं को भी नष्ट करने लगता है ,इम्म्युंन सिस्टम को भी कमज़ोर कर देता है .यही वजह है तनाव की वजह दूर हो जाने पर भी आप घंटों अपनों पर गुर्राते रहतें हैं .बेशाख्ता झुंझलाते रहतें हैं ।
एक हर्पीज़ वायरस का अनुकूलन कर ,इस विषाणु को इस प्रकार ढाला गया है ,यह न्यूरो -प्रोटेक्टिव जींस को ब्रेन में वांछित गहराई पर ले जाता है .जहां पहुंचकर यह रोग -हारमोन को उदासीन बना देता है .बस दिमाग को होने वाली नुकसानी टल जाती है .दिमाग शांत प्रशांत हो जाता है .शमित हो जाता है तनाव .विषाक्त प्रभाव हारमोन का .चूहों पर इस इन्जीनीयर्ड विषाणु ने गज़ब का काम किया है .यही है तनाव रोधी टीके का सार .

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