डीप सीक्रेट :ह्यूज़ रिवर फ्लोइंग अंडर ब्लैक सी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २ ,२०१० )।
साइंसदानों ने काला सागर की तल्हेटी(बोटम ) में एक दीर्घकाय नदी का पता लगाया है ।
अगर यह समुन्दर के नीचे ना होकर स्थलीय नदी होती तो इससे ज्यादा पानी किसी औरआम नदी में नहीं होता .छटी अब तक की सबसे बड़ी नदी होती यह सर्सस्वती . एक सुराग हाथ लगा है साइंसदानों के हाथों ,कैसे गहरे पानी में पैठे सामुद्रिक जीव अपना पोषक तत्व जुटातें हैं .तटीय इलाकों की बात और है जो पोषक तत्व स्थल से जुटा लेतें हैं स्थलीय नदी नालों की मार्फ़त ।
थेम्स नदी से ३५० गुनाज्यादा बड़ी जल धाराएं काला सागर की बुनियाद में बहती इस नदी के वक्ष पर हैं .इसमें से अनेक छोटी छोटी जल धार फूट रहीं हैं .सागर विज्ञानियों ने ब्लेक सागर के माहिरों ने अपनी शोध से यही नतीजे निकालें हैं ।
यत्र तत्र इसकी गहराई ११५ फीट तक जाती है .इसमें झरने और प्रपात भी गिरतें हैं स्थलीय नदियों की मानिंद ।
एक रोबोटिक पनडुब्बी का स्तेमाल किया गया इसकी थाह लेने के लिए .लीड्स विश्व -विद्यालय के साइंसदानों के मुताबिक़ ब्लेक सी के बोटम मेंमौजूद एक चैनल में एक बेहद नमकीन पानी की नदी बहती है .इस नदी के" किनारे" और" फ्लड प्लेन्स "भी बाकायदा मौजूद हैं ।
स्कूल ऑफ़ अर्थ एंड एन्वायरन्मेंट के (विश्व -विद्यालय से सम्बद्ध )डन पार्संस के मुताबिक़ उन्हीं के शब्दों में :"इट फ्लोज़ डाउन दी सी शेल्फ एंड आउट इनटू दी एबिस्मल प्लेन मच लाइक ए रिवर ऑन लैंड .
यह गहरे इलाके समुंदरी रेगिस्तान की मानिंद हैं .लेकिन यही चैनल्स इन्हें जीवन के लिए आवश्यक पोषक तत्व मुहैया करवातें हैं ।
समुन्दर की जीवन दाई धमनियां हैं ,.यह जल धाराएं .सिर्फ एक अंतर है मोड़ पर यह जल धाराएं स्थलीय नदी के विपरीत दिशा में कुंडलित(स्पायरल ) होतीं हैं .'एज दी फ्लो गोज़ राउंड दी बेन्ड ,दी वाटर स्पायरल्स इन दी अपोजिट वे टू रिवर्स ऑन लैंड ।
कहाँ है इसका उद्गम स्थल ?
द अंडर सी रिवर व्हिच इज यट टू बी नेम्ड ,स्तेम्स फ्रॉम साल्टी वाटरस्पिलिंग थ्रू दी बोसो -फोरस स्ट्रेट फ्रॉम दी मेदितेर्रनेअन(मेडीतरेनियन) इनटू दी ब्लेक सी ,व्हेअर दी वाटर हेज़ ए लोवर साल्ट कंटेंट .
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