प्लास्टिक बैग" इन्क्युबैटर" सेव्ज़ प्रिमी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त ९ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
उसकी प्रत्युत्त -पन्न -मति (मौके पर अपनाई गई सूझबूझ ) जीवन रक्षक साबित हुई और समय से १४ हफ्ते पहले ही पैदा हो गई "महा -लक्ष्मी ,कन्या "की जान बच गई ।जबकि लेदेकर उस समय उसका वजन भी मात्र ६०० ग्रेम था .
माँ एमिली की उम्र थी २९ बरस .बर्फानी तूफ़ान चल रहा था .एक तूफ़ान झंझावात माँ के कोमल हृदय में भी तो उठ रहा था .नन्नी जान बचेगी भी या नहीं ।
एम्बुलेंस की पिछली सीट पर ही प्रसव हो चुका था .निर्धारित अवधि ४० सप्ताह से ४सप्ताह से ज्यादा पहले पैदा होने वाले बच्चों को ही प्री -मीज़ कहा जाता है .विशेष परवरिश की ज़रुरत एक इन्क्युबेटर ही मुहैया करवा पाता है .जो एक तरह का कृत्रिम गर्भाशय ही होता है और माहौल एम्नियोटिक सेक सा सुरक्षितआराम देह .आकार इतना की एम्ब्युलेंस में समा ना सके ।
पैरा -मेडी -कल स्टाफ के रोब दल्ज़ेल के पास उस वक्त लेदेकर प्लास्टिक की वह विशेष थैली ही थी जिसका स्तेमाल आम तौर पर हैजार्ड -अस मेडिकल सप्लाई के लिए ही किया जाता है ।
लेकिन यही थैली उस नन्नी जान के लिए जीवन रक्षक ऊष्मायन (इन्क्युबेटर )बन गई .बस रोब ने उसे नम(मोइस्ट ) बनाए रखने जीवन के अनुकूल ताप मुहैया करवाए रखने के लिए एक तौलिये में संभाल के लपेट रखा .उसके नन्ने फेफड़ों में ऑक्सीजन फूंकी ।
रीडिंग के रोयल बर्क शायर अस्पताल तक वह ठीक ठाक पहुँच गया .महा लक्ष्मी ने यहाँ दो सप्ताह गहन उपचार एककके "ताप कक्ष ,ऊष्मा -यित्र में बिताए .बाद इसके महालक्ष्मी को जॉन रेडक्लिफ अस्पताल की 'हाई -डिपेंडेंसी
यूनिट में रखा गया .चार माह के बाद सोफी को अपनी माँ एमिली और बाप पीटर हज्ज़र्द के साथ सकुशल घर भेज दिया गया .वीटलेओक्सान में ।
आदमी की हाज़िर ज़वाबी की ही तरह हाज़िर दिमागी ,वक्त पे सही उपाय अपनाने की, कूवत काम आती है .यही सिफत रोब की, जीवन रक्षक साबित हुई, महा- लक्ष्मी के लिए .
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1 टिप्पणी:
हाज़िर दिमागी- काबिले तारीफ!!
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