मंगलवार, 10 अगस्त 2010

हवा का गन्धाना दिल और दिमाग पर भी भारी पड़ता है

'एयर पोल्यूशन आल्सो अफेक्ट्स हार्ट ,ब्रेन ':(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त १० ,२०१० ,पृष्ठ १५ ).
हवा बदल के लिए लोग पहाड़ पर जातें थे अब पहाड़ क्या प्रदूषण के पाँव ध्रुवों तक भी पहुँच गए हैं .
और हवा का गन्धाना सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं दिल औ दिमाग ,रुधिर -वाहिकाओं को भी असर ग्रस्त बनाता है .सेहत पर इस के दुष्प्रभाव अब तक के अनुमानों से कहीं ज्यादा खराब पड़ रहें हैं .
अमरीकी साइंसदानों ने ऐसे अनेक प्रमाण जुटा लियें हैं जो खुलासा करतें हैं ,हमारी हवा के गंदा होने का असर दिल के दौरे ,आघात (स्ट्रोक्स यानी सेरिब्रल -वैस्क्युलर एक्सिदेंट्स ) यहाँ तक की मृत्यु का भी अब सबब बन रहा है।
हालाकि यह अभी अनुमेय ही है ,आखिरइसकी वजह क्या है और ऐसा हो क्यों रहा है ?
एक सिद्धांत यह उभरकर आता दिखलाई देता है ,फेफड़ों का रोग -संक्रमण (इन्फ्लेमेशन )रुधिर वाहिकाओं तक पहुँच जाता है पहले वह अन्दर से खुरदरी पडती हैं फिर अवरुद्ध हो जातीं हैं .क्लोगिंग ऑफ़ दी आर्तरीज़ लीड्स टू "कोरोनरी -आर्टरी -डिजीज यानी परि -ह्रदय -धमनी रोग ".

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