क्रायों का शाब्दिक अर्थ होता है फ्रीजिंग या कोल्ड .लाइपो कहतें हैं फेटि -टिस्यू को .लाइपो -लिसिस का मतलब होता है चर्बी का टूटना ,दी -कम्पोजीशन ऑर डिसो -शियेसन आफ फैट इनटू फैटी एसिड्स एंड ग्लिस्रोल ।
क्रायों -लाइपो -लिसिस एक संकर वर्ण है ,हाई -ब्रीद शब्द है ज़मा जोड़ है "क्रायों "और लाइपो- लिसिस का ।
ज़ेल्तिक नाम की एक मशीन है जो चर्बी के अणुओं को जो चमड़ी के ठीक नीचे होतें हैं (सब -क्युतेनिअसफैट मोलिक्युल्स )शून्य सेल्सिअस तक ठंडा करके विघटित कर देती है .एक बैठक में ,सिर्फ एक मर्तबा के ट्रीटमेंट में यह वांछित जगह के २५ फीसद वसा अणुओं को तोड़ देती है .देर सवेर यह शरीर से मूत्र के ज़रिये बाहर हो जातें हैं ,एक सामान्य प्रक्रिया के तहत .
परंपरा गत तरीका लेज़र्स की मदद से चर्बी को गरमाकर पिघलाता है .जबकि इस तरीके में चर्बी को ठंडा किया जाता है ।
लाइपो -सक्शन :लाइपो -सक्शन विधि में एक सौन्दर्य -प्रशाधन सम्बन्धी शल्य के तहत चमड़ी के नीचे की चर्बी को चूषण -विधि (सक्शन मेथड )से बाहर कर दिया जाता है ।लेकिन जीवन शैली को बदले बिना इस महंगे शल्य से खेलते रहने का कोई मतलब नहीं है .अमीरी के चोचलें हैं .
ज़ेल्तिक अमरीकी साइंसदानों की देन है जिसे हार्वर्डविश्वविद्यालय और मेसाच्युसेट्सजनरल अस्पताल के रिसर्चरों ने विकसित किया है .अब यह ब्रिटेन में दस्तक दे रही है ।
इसे वजन कम करने का नायाब नॉन -इनवेसिव (शून्य -शल्य ,बिना चीड फाड़ का तरीका ) मेथड करार दिया गया है ।
क्रायों -लाइपो -लिसिस प्रक्रिया चमड़ी के नीचे से धीरे धीरे चर्बी की गर्मी को बाहर निकालती है .चमड़ी के ठीक नीचे ही तो चर्बी की यह परत होती है .ठंडा होते होते यह शून्य सेल्सिअस तक पहुँच कर फ्रीज़ होने लगती है .निम्नतर तापमान चर्बी के अणुओं को बेजान बना देतें हैं लेकिन चमड़ी और पेशियाँ स्वस्थ बनी रहती हैं पूर्व -वत .मृत कोशाओं (डेड फैट सेल्स )की निकासी का काम हमारा यकृत (लीवर )कर देता है .लेकिन याद रहे मृत कोशाओं की शरीर से निकासी में २-३ माह लग सकतें हैं .बारास्ता मूत्र .धीरज रखिये .जादू की छड़ी नहीं है ज़ेल्तिक ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-बेट्लिंग बल्ज़:न्यू वे चिल्स टू किल फैट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त ३ ,२०१० ,पृष्ठ १५ )
मंगलवार, 3 अगस्त 2010
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