शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

स्काल्पेल फ्री सर्जरी पहली मर्तबा

गामा नाइफ फॉर सर्जरी संझ(विदाउट )स्काल्पेल (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त ६,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
शायद दुनिया भर में पहली मर्तबा शल्य कर्मियों की एक अंतर -राष्ट्रीय टीम ने ब्रेन कैंसर तथा कई अन्य दिमाग से ताल्लुक रखने वाली गड़बड़ियों का इलाज़ बिना स्काल्पेल (सर्जरी में प्रयुक्त चाक़ू ) के "माक्कुँरी यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल, सिडनी" में कामयाबी से कर दिखाया है .
वास्तव में गामा नाइफकेवल नाम का हीकहने भर को चाक़ू है ,कटिंग टूल नहीं है ,कोई चीड फाड़नहीं , लिहाजा खून बहने का भी शल्य के दरमियान सवालही नहीं उठाता ।
वास्तव में यह गामा किरणों का एक पुंज (समुच्चय या बीम )है जिसमे तकरीबन २०० विकिरण पुंजों को एकसाथ कई गामा स्रोत (कोबाल्ट -६०)सेएक दम लक्ष्य परही सटीक तौर पर केन्द्रित किया जाता है ।
अब क्योंकि कम तीव्रता (लो इन्तेंसिती बीम्स )के पुंजों को दिमाग के लक्षित कैंसर ग्रस्त केंद्र पर ही संकेंद्रित ,फोकस किया जाता है इसीलिए जिन ऊतकों से होकर यह अपने लक्ष्य तक पहुँचती है उन्हें किसी प्रकार की नुकसानी नहीं होती है .लेकिन कुल विकिरण का परिणामी प्रभाव एकदम से बहुत शक्ति पैदा करदेता है ।
हालाकि मरीज़ के दिमाग के एक नहीं कई हिस्सों में कैंसरग्रस्त कोशायें थीं लेकिन तकरीबन एक घंटा चलने वाले प्रोसीज़र के दौरान बस लोकल एनास्थेतिक(चेतना हारी पदार्थ )की ही ज़रुरत पड़ी .बहिरंग -रोगी चिकित्सा की ही तरह यह पूरी प्रक्रिया संपन्न हुई .अब रोगी अपने घर पर सकुशल है .ज़ाहिर है परम्परा गत न्यूरो -सर्जरी से जुदा है यह तरीका ट्यूमर के इलाज़ का जिसे ऑस्ट्रेलियाई न्यूरो -सर्जनजॉन फुलर और उनकी टीम ने कामयाबी से कर दिखाया है .ट्रेडिशनल न्यूरो -सर्जरी के बरक्स इस ट्रीटमेंट में पैचीलापन भी बहुत कम है .परम्परा गत क्रेनिओतोमी(क्रेनियो -टामी)में यह कोम्प्लिकेशन ज्यादा पैदा हो सकतें हैं .इस तरह मरीज़ के शेष जीवन की गुणवत्ता भी सुधरी हुई रहती है .आपको बतला दें -गामा विकिरण की भेदन क्षमता बहुत ज्यादा लेकिन आयनीकरण क्षमता बहुत कम होती है इसीलिए स्वस्थ कोशाओं को कोई नुकसानी नहीं उठानी पडती है ।
क्रेनियो -टामी :इज कटिंग ओपन दी स्कल टू एक्सपोज़ दी ब्रेन फॉर ब्रेन सर्जरी .इन्सिज़न थ्रू दी क्रेनियम इज आल्सो काल्ड क्रेनियो -टौमी .

कोई टिप्पणी नहीं: