गुरुवार, 15 जुलाई 2010

चींटियों में भी होतें हैं आत्मघाती दस्ते ....

एक पारितंत्र विद (इकोलोजिस्त ) की माने तो चींटियों मेंभी आत्मघात की प्रवृत्ति रहती है ,आत्मघाती दस्ते होतें हैं "ह्यूमेन -बोम्बर्स "की मानिंद .बड़े ही नाटकीय अंदाज़ में यह आत्मघाती दस्ते काफिला बना कर निकलतें है अपने संगी साथियों के संग ।
अपनी किताब "एडवेंचर्स एमंग एंट्स "में पारितंत्र -विज्ञानी (पारिस्थितिकी -विज्ञान के माहिर इकोलोजिस्त )मार्क मोफ्फेत्त ने "सेल्फ देतोनातिंग (दितोनेतिंग )"खुद को ही विस्फोट में उड़ा देने वाले स्युसाइड -बोम्बर्स का ज़िक्र किया है ।
"दी रेडिश वर्कर सिलिन्द्रिकास एंट '"अपने परखचे उड़ा एक पीले रंग का विषाक्त गोंद(टोक्सिक यलो ग्लू )छोडती है .यही ज़हर खुद के संग इन चींटियों के दुश्मन का भी मौके पर ही खात्मा कर देता है ।
मोफ्फेत सेट ए ट्रेप एट दी बेस ऑफ़ ए ट्री कोलोनाइज़्द बाई सिलिन्द्रिकास एंट्स .कोई घंटे भर में ही वीवर और कारपेंटर एंट्स की अन्य प्रजातियों ने मिलकर इसकी (बेट,ट्रेप )की शिनाख्त कर ली .बस इनका यहाँ अड्डा खडा हो गया .इनमे से एक ने जड से तने की ओर चढ़ना शुरू किया .सिलिन्द्रिकास माइनर वर्कर की बगल से चढ़ने लगी .बस एक छपाक से एक स्प्लेश में पीला गाढा द्रव्य चारों ओर छिटका -बिखरा ओर दोनों निर्जीव .बोथ एंट्स वर इम्मोबिलाइज़्द इन ए स्टिकी ,ग्रोतेस्कुए तबलौ ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-एंट्स हेव स्क्वाद्र्न्स ऑफ़ स्युसाइड बोम्बर्स तू (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई १५ ,२०१० )

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