यकायक पुरुष बांझपन इन दिनों फोकस में आया है .मेल -इन्फर्तिलिती व्यापक रूप से किसी एपिडेमिक सा रुख इख्तियार कर रही है ।
डॉ सुनीता मित्तल के अनुसार बांझपन के एक तिहाई मामलों में कमी बेशी मर्द में पाई गई है .आप अखिल -भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा संस्था ,नै दिल्ली में गाय्नेकोलोजी एवं इन्फेर्तिलिती यूनिट्स की मुखिया हैं ।
७७०० पुरुषों पर संपन्न एक व्यापक अध्धययनमें पुरुषों में शुक्राणु की छीजती गुणवत्ता की शिनाख्त हुई .अध्धययन कस्तूरबा अस्पताल मनिपाल में २००८ में संपन्न हुआ ।
मोटापे की ज़द में लोगों का बराबर आते चला जाना भी स्पर्म (स्पर्मेता -जो -आ )की गुणवत्ता ह्रास की वजह बन सकता है ।
अलावा इसके २० फीसद मर्द "अजू -स्पर्मिक "हैं (इनके सीमेन से स्पर्म नदारद हैं या फिर ना होने के बराबर हैं ).यह कहना है "आई आर एम् "की डॉ नालिनी जे .गुप्ता का.इनके "ए जेड ऍफ़ "तथा "डी ए जेड "जींस में उत्परिवर्तन (म्युतेसंस )दर्ज़ हुएँ हैं ।
आनुवंशिक विकार "वाई -क्रोमोज़ोम्स -डिलीशन '"से ग्रस्त पाया गया है इन्हें ।
दुनिया भर में परिदृश्य इससे जुदा नहीं हैं :
गत पचास सालों में दुनिया भर के मर्दों में "स्पर्म काउंट" यानी एक बार के इजेक्युलेसन में शुक्राणुओं की तादाद ) भी ५०% कम हुआ है ।
डॉ सिलादितय भट्टाचार्य ने १९८९ -२००२ में स्कोत्लैंड के अबेरदीन फर्टिलिटी सेंटर में जो स्टडी संपन्न की है उसके अनुसार पुरुषों में स्पर्म काउंट २९ %गिरा है ।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की इस चेतावनी को हलके में लेना ठीक नहीं होगा .आइन्दा आने वाली संतातितियों में बांझपन और बढेगा ।
१५ फीसद दम्पति माँ -बाप बन ने की ललक तो रखतें हैं लेकिन बांझपन आड़े आ रहा है ।
६ फीसद शिशु असिस्तिद रिप्रो -दक्तिव(ए आर टी ) टेक्नीक के सहारे माँ के गर्भ में आ रहें हैं ,दाम्पत्य संबंधों से नहीं ।
चीन भी बांझपन की गिरिफ्त में है वहां यह १९८० के ३ % से बढ़कर अबयह दर १० फीसद है ।
जसलोक अस्पताल के आउट पेशेंट डिपार्टमेंट में जहां १९९० में ४५० लोग पहुँच रहे थे इसी शिकायत के साथ उनकी संख्या बढ़कर १५०० हो गई है .ए आर टी की सहायता से गर्भ धारण के मामले यहाँ १९९१ के १००० से बढ़कर २००९ में ही ४००० हो गए थे ॥
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसिज़ ने अपने ९०,००० टेकीज़ में से १५ को इसी मर्ज़ से ग्रस्त पाया है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-इन्फर्तिलिती ओंन दी राइज़ (कवर स्टोरी "हेल्थ "इंडिया टुडे ,जुलाई ५,२०१० ,पृष्ठ ४० -४६ .)
शनिवार, 3 जुलाई 2010
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