अपनी प्रकार की अभिनव टेक्नोलोजी (कटिंग एड टेक्नोलोजी ) के स्तेमालको अमरीकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है जिसके तहत माहिर उम्र दराज़ लोगों के नत्रों में एक नन्ना टेलिस्कोप ही फिट कर देंगे ताकि "मक्युलर -दिजेंरेशन 'से पैदा अंधत्व से बचा जा सके और किसी तरह उम्र दराज़ लोग काम चला सके दैनिकी का ।
इस रोग की अंतिम प्रावस्था (टर्मिनल स्टेज )में "सेन्ट्रल विज़न "ही धीरे धीरे कर समाप्त हो जाता है .पढ़ना ,टी वी देखना यहाँ तक अपनों का चेहरा -मोहरा पहचान ना भी संभव नहीं रह जाता है ।
इस प्रोद्योगिकी के तहत सेन्ट्रल विज़न को बनाए रखने के लिए ही केवल एक आँख में शल्य द्वारा मिनियेचराइज़्द टेलिस्कोप फिट किया जाता है ।
पेरिफरल विज़न का काम दूसरी आँख के हवाले छोड़ दिया जाता है ।
बाकी काम हमारा दिमाग कर देता है .यानी सेन्ट्रल और पेरिफरल विज़न का ज़मा जोड़ ,दोनों वियूज़ का फ्यूज़न ।
हमारा दिमाग हमारी आँखों द्वारा रेटिना पर प्रक्षेपित दो इमेजिज़ की दिन रात सिन्थिसिस कर एक इमेज ही देखी गई वस्तु का अंतिम तौर पर दिखलाता है .कह सकतें हैं ,देखता दिमाग है ,नेत्र तो सिर्फ वाहन हैं दृश्य और देखी गई वस्तु का ।
अमरीकी दवा एवं खाद्य संस्था "फ़ूड एंड ड्रग एड्मिनिस्त्रेसन के मुताबिक़ जिन लोगों को अब तक यह टेलिस्कोप फिट किया गया है उनमे से ९० फीसद आई -चार्ट पर(नेत्र परिक्षण यानी रिफ्रेक्सन के दौरान ) कम से कम दो पंक्तियाँ अब ज्यादा पढ़ लेतें हैं .यह एक ज़बर्जस्त ब्रेकथ्रू नहीं तो और क्या है ?
सन्दर्भ -सामिग्री :-नाव ,टेलिस्कोप इनसाइड आई तू फाईट एज -रिलेटिड ब्लाइन्द्नेस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई ८ ,२०१० )
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