अमरीकी और जापानी साइंस दानों ने एक ऐसी मेडिकल टेक्नोलोजी विकसित की है जिसकी मदद से एकही सैलाइवा नमूने को लेकर अग्नाशय ,स्तन तथा मुख कैंसर की अधिकतम शुद्ध संभावनाओं का पहले से ही जायजा लिया जा सकेगा .इस परिक्षण के तहत लार में कमसे कम ५४ किस्म के पदार्थों की शिनाख्त की गई है .२१५ लोगों के सैलाइवा साम्पिल्स की जांच करने पर जिन्मेकैंसर मरीज़ भी शामिल किये गए थे ९९ फीसद पैन्क्रियेतिक कैंसर कैसों (मामलों )९५ फीसद ब्रेस्ट कैंसर तथा ८०फ़ीसद मुख कैंसर्स(ओरल कैंसर ) केमामलों का पता चला ।
जापान की कियो तथा अमरीका की केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ,लोस -एन्जिलीज़ कैम्पस के साइंस - दानों के मिलेजुले प्रयासों से यह आज़माइश संपन्न हुईं हैं .रक्त और स्टूल -टेस्ट के बरक्स सेलाइवा केनामुने लेना और जांच करना ज्यादा आसान रहता है .इस जांच में लगने वाला अधिकतम समय आधा दिन है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-नाव ए सिंगिल सेलाइवा टेस्ट देत केंन दितेक्तए बंच ऑफ़ कैंसर्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून ३० ,२०१० )
गुरुवार, 1 जुलाई 2010
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