एक पक्षीय या आधी अधूरी बातचीत या बातचीत का एक अंश (पूरी बात नहीं )हाल्फ -लाग़ (हाल्फ +डाय -लाग़ )कहलाता है .फोन के चोगे पर आपको हाफ -लाग़ ही सुनाई देता है .बातचीत का यही श्रव्य हिस्सा (औडिबिल हाल्फ )ही हाल्फ- लाग़ है ।
कई लोंग कन -सुई लेतें हैं ,छिपकर सुनतें हैं किसी की बात चीत और कईयों का इस कंसुई से बेशाख्ता ध्यान भंग होता है हालिकी वह किसी एइरा गैरा नथ्थू खैरा की बात सुनने में दिलचस्पी भी नहीं रखतें हैं लेकिन आधी अधूरी बात जो आपके कान में ज़बरी पड़ती है आपको बुरी तरह झुंझलाहट से भर देती है ना चाहते हुए भी दिमाग उधर खींचता चला जाता है अवश होकर .कई लोग इस खुस -पुस(खुसर -पुसर )से बेहद आजिज़ आजातें हैं .दूसरी तरफ उनके कान भी खड़े हो जातें हैं इन -वोलंटरी (ना चाहते हुए ) ही ऐसा होता है .ऐसा जादू होता है हाल्फ -लाग़ का .
रविवार, 3 अक्तूबर 2010
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