जंक फ़ूड एज एडिक्टिव एज ड्रग्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अक्टूबर २ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
एक ब्रितानी अध्ययन ने इशारा किया है ,बर्जर्स ,चिप्स (आलू -केला चिप्पड़)तथा केक का खुराक में आजाना दिमाग को और भी ज्यादा तलबगार बना देता हैऐसी चीज़ों के प्रति , भैया खूब खाओ शक्कर ,नमक और चिकनाई से लदे फदे सने खाद्य .ड्रग्स की तरह दिमाग की प्रोग्रेमिंग कर देता है जंक फ़ूड ,थमा देता है दिमाग को एक सोफ्ट वे -यर।
कालान्तर में जंक फ़ूड ख़ुशी ,मौजमस्ती की खबर देने लगता है दिमाग को और बस ड्रग्स की तरह कबाड़िया ,बासा ,तुरता ,कथित फास्ट फ़ूड की आदत (लत )पड़ जाती है .हुकिंग हो जाती है दिलो -दिमाग की तुरंता भोजन से ।
अखबार टेलि -ग्राफ के अनुसार यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जो यह साफ़ तौर पर पड़ताल करता है ,मशविरा देता है ,भाई साहिब ,जंक फूड्स के प्रति दिमाग वैसे ही प्रति -क्रिया करता है जैसी रिएक्शन वह ड्रग्स के प्रति करता है .हमारा काम युव भीड़ को चेताना है .मानना ना मानना उनका काम है .जय रामजी की .
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