सफरिंग फ्रॉम रे -यर डिस-ऑर्डर्स ,ब्रदर्स सीक मर्सी किलिंग (मुंबई मिरर ,अक्टूबर २ ,२०१० ,पृष्ठ १८ /नेशन )।
दो भाइयों की इस व्यथा कथा ने हमें एक दम से विचलित कर दिया .कोंडा जगन नाथन (३० बरस )तथा कोंडा मनोहर (२८ )गत १५ सालों से पेशियों को एक दम से अशक्त बनाने वाली मस्क्युँल्र डिस -ट्रोफी की मार झेल रहें हैं .इनका कुसूर इन्होंनें एक ऐसे परिवार में जन्म ले लिया जिसमे गत तीन पीढ़ियों से एक ही वंश वेळ में विवाह होते आयें हैं नतीजा है यह आनुवंशिक ला इलाज़ रोग .आन्ध्र प्रदेश के मेडक जिले केदुब्बका मंडल के एक गाँव रामाक्कापेट पेट के बुनकर परिवार में यह दोनोंबे-कसूर यातना भोग रहें हैं ।
इनकी ज़रूरी पेशियों की कोशायें और ऊतक नष्ट हो हुकें हैं .नतीज़तन चलना फिरना मुमकिन नहीं रह गया है .अपाहिज की जिंदगी से आजिज़ आकर यह राज्य से मौत की फ़रियाद (मर्सी किलिंग )कर रहें हैं ।
क्या है मस्क्युलर -डिस -ट्रोफी ?
आपको बतलादें यह एक आनुवंशिक रोग है जिसमे रोगी की पेशियाँ कमज़ोर पड़ जातीं हैं .पेशीय इलास्टिसिटी ज़वाब दे जाती है .इन दोनों के मामले में चलना फिरना ,सीधे बैठना ,आसानी से सांस भी ले पाना ,हाथ पैरों का संचालन मुमकिन नहीं रह गया है .राज्य सरकार से ५०० रुपया मासिक एक भाई को मिलता है जिसमे दवाओं का खर्च भी नहीं निकलता ।
आइये कुछ और जानकारी हासिल करतें हैं इस ला -इलाज़ बनी बीमारी के बारे में ।
इट
दो भाइयों की इस व्यथा कथा ने हमें एक दम से विचलित कर दिया .कोंडा जगन नाथन (३० बरस )तथा कोंडा मनोहर (२८ )गत १५ सालों से पेशियों को एक दम से अशक्त बनाने वाली मस्क्युँल्र डिस -ट्रोफी की मार झेल रहें हैं .इनका कुसूर इन्होंनें एक ऐसे परिवार में जन्म ले लिया जिसमे गत तीन पीढ़ियों से एक ही वंश वेळ में विवाह होते आयें हैं नतीजा है यह आनुवंशिक ला इलाज़ रोग .आन्ध्र प्रदेश के मेडक जिले केदुब्बका मंडल के एक गाँव रामाक्कापेट पेट के बुनकर परिवार में यह दोनोंबे-कसूर यातना भोग रहें हैं ।
इनकी ज़रूरी पेशियों की कोशायें और ऊतक नष्ट हो हुकें हैं .नतीज़तन चलना फिरना मुमकिन नहीं रह गया है .अपाहिज की जिंदगी से आजिज़ आकर यह राज्य से मौत की फ़रियाद (मर्सी किलिंग )कर रहें हैं ।
क्या है मस्क्युलर -डिस -ट्रोफी ?
आपको बतलादें यह एक आनुवंशिक रोग है जिसमे रोगी की पेशियाँ कमज़ोर पड़ जातीं हैं .पेशीय इलास्टिसिटी ज़वाब दे जाती है .इन दोनों के मामले में चलना फिरना ,सीधे बैठना ,आसानी से सांस भी ले पाना ,हाथ पैरों का संचालन मुमकिन नहीं रह गया है .राज्य सरकार से ५०० रुपया मासिक एक भाई को मिलता है जिसमे दवाओं का खर्च भी नहीं निकलता ।
आइये कुछ और जानकारी हासिल करतें हैं इस ला -इलाज़ बनी बीमारी के बारे में ।
इट
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