जी हाँ यदि रोग अनियंत्रित रहे तो यह पौरुष के लिए घातक सिद्ध होता है .शिश्न को रक्त ले जाने वाली धमनिया अन्दर से खुरदरी पड़ सकती हैं उनमे प्लाक /वसा जम सकती है।
न्यूरो -पैथी हो सकती है .मरीज़ अवसाद ग्रस्त हो सकता है .यह दोनों ही वजहें शिश्न के कठोर पड़ने के आड़े आतीं हैं . यौन उत्तेजना के क्षणों में भी शीथिलता बनी रह सकती है ।
यौन जीवन के दुरुस्त रहने के लिए ब्लड सुगर पर नियंत्रण ज़रूरी है .रोग पुराना होने पर यह सावधानी भी उसी अनुपात में बढ़नी चाहिए ।
लिपिड प्रोफाइल की नियमित जांच तथा ट्राई -ग्लीस -राइड्स का मान्य स्तर जहां तक संभव हो बने रहना चाहिए यहीं पर जीवन शैली खान पान सुधार विधाई भूमिका में आता है ।
व्याग्रा जैसी दवाएं तब नहीं थी जब आप पैदा हुए थे .यौन क्रिया जीवन का सहज स्वाभाविक हिस्सा है उसे वैसा ही बने रहना चाहिए .न्यूरो -पैथी से बचें .
मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011
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