तनाव के दौरान स्ट्रेस हारमोनों का स्राव हमारा स्रावी तंत्र सामान्य से ज्यादा करने लगता है .स्ट्रेस हारमोन कोर्टिसोलतथा एड्रीनेलिन ज्यादा रिश्ता है .यह ब्लड ग्लूकोज़ के स्तर को बढा देता है ।
इसीलिए मधुमेह ग्रस्त व्यक्ति के लिए खासकर रोग के पुराना पड़ जाने पर तनाव का प्रबंधन और भी ज्यादा ज़रूरी हो जाता है ।
तनाव इक ट्रिगर का काम करता है ब्लड सुगर को स्पाइक करने में .आप चाहें तो इसे स्ट्रेस बोर्न डायबिटीज़ (तनाव जन्य मधुमेह भी कह सकतें हैं ।).
आम तौर पर सामान्य अवस्था में भोजन से पहले ब्लड सुगर का स्तर ७० -१०० मिलीग्राम %प्रति -डेसीलिटर तथा बाद भोजन १४० % से कम रहता है .तनाव के बाद यह दोनों मान बढ़ जातें हैं .इसलिए कहा जासकता है तनाव रक्त शर्करा का स्तर बढाने वाला ज्ञात कारक है एजेंट है ।
चिंता नौकरी की ,काम के शिफ्टों में लगातार बदलते वाहियात घंटे ,नींद का अभाव ,सर्कादियन रिदम (जैव घडी का गड़बडानायुवा भीड़ को भी मधुमेह की कगार पर ले आरहा है .
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