शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

प्लास्टिक इलेक्ट्रोनिक्स के लिए प्लास्टिक कंडक्टर .

आम तौर पर प्लास्टिक का स्तेमाल इक इन्सुलेटर के रूप में केबिल्स के ऊपरबिजली की तारों के ऊपर प्लास्टिक शीथ, प्लास्टिक चढ़ाकर किया जाता रहा है .लेकिन अब ऐसा प्लास्टिक साइंसदान तैयार कर रहें हैं जिसका स्तेमाल मनमाफिक तरीके से इक सुचालक ,अति -चालक (सुपर -कंडक्टर )तथा कुचालक और बीच की सभी स्थितियों यानी इलेक्ट्रिकल रेजिस्टेंस को मनमाफिक तरीके से अरबों अरब गुना घटा बढ़ाकर किया जा सकेगा ।
इस शोध के अगुवा बने हैं क्वींस लैंड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर पॉल मेरेडिथ ।
कैसे बनता है प्लास्टिक का कंडक्टर /सुपर कंडक्टर ?
इसे हासिल करने के लिएप्लास्टिक शीट के ऊपर मेटल (धातु )की इक पतली परत रख दी जाती है .अब इसे इक आयन बीम की मदद से पोलिमर सर्फेस के साथ मिलादिया जाता है ,मिक्सिंग कर दी जाती है पोलिमर की सतह के साथ इसकी .आयन बीम प्लास्टिक शीट की ट्यूनिंग कर देती है ,प्लास्टिक फिल्म के गुण धर्म बदल जातें हैं और बस यह बिजली के तारों (इलेक्ट्रिकल कंडक --टार्स यूस्ड इन इलेक्ट्रिक वायरस ).की तरह बिजली की संवाहक बन जाती है ।
इस बेहतरीन पदार्थ में इक तरफ पोलिमर की मजबूती दूसरी तरफ सुनमय्ता (मिकेनिकल फ्लेक्ज़िबिलिती ) आ जाती है .सस्ता भी रहता है यह .इसकी इलेक्ट्रिकल कन्दक्तिविती घटाई बढ़ाई जा सकती है .इक सुनिश्चित तापमान तक ठंडा करने पर इसका विद्युत् प्रति -रोध समाप्त हो जाता है .इसे सुपर -कंडक -तर की तरह काम में लिया जा सकता है ।
मजबूत ,लचीली (फ्लेक्ज़िबिल )तथा कंडक -टिव(विद्युत् -सुचालक )प्लास्टिक फिल्म्स भी इससे तैयार की जा सकतीं हैं ।
रिसर्च टीम ने इक इलेक्ट्रिकल रेजिस्टेंस थर्मामीटर इस मटीरियल का बनाकर (जो स्टेंडर्ड प्लेटिनम रेजिस्टेंस थर्मामीटर की टक्कर का है )संभावनाओं के अनेक द्वार खोल दिए हैं इसके भावी स्तेमाल के लिए ।
अब आप प्लास्टिक्स इलेक्ट्रोनिक्स का भी सोच सकतें हैं .इस फिल्म की विद्युत् भेजने /विद्युत् का विरोध करने की क्षमता को बेहतरीन तरीके से ट्यून किया जा सकता है ।
इसकी इलेक्ट्रिकल रेज़िस्तिविती (विशिष्ठ विद्युत् प्रतिरोध )१० ऑर्डर्स ऑफ़ मेग्नित्युद से तब्दील किया जा सकता है .इस विशिष्ठ प्रतिरोध को मनमाफिक बदल के चालक /सुचालक /अतिचालक /कुचालक तैयार किये जा सकतें हैं ।
सन्दर्भ -सामिग्री :ला अप -टर्न्ड :ए प्लास्टिक देट कैन कंडक्ट इलेक्त्रिसिती .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,फरवरी २४ ,२०११ ,पृष्ठ २१ ).

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