कन्फ्यूज़न बिहाइंड आउट ऑफ़ बॉडी एक्सपीरिएंस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,फरवरी १९ ,२०११ ,पृष्ठ २१ )।
क्या 'आउट ऑफ़ बॉडी एक्सपीरिएंस 'इक वास्तविक अनुभव है ?जिसमे सूक्ष्म शरीर अपने ही स्थूल शरीर से अलग हो निरपेक्ष भाव से उसे निहारता है इक जर्नलिस्ट की तरह .या फिर यह दिमागी संभ्रम मात्र है ?दो विपरीत इन्द्रिय बोध से पैदा कन्फ्यूज़न है ?
जो हो यह स्वतन्त्र रिसर्च का विषय कुछ के लिए बना हुआ है .इतिहास के झरोखे से २१ वीं शती तक लोग बहु विध अपनी स्थूल काया से अलहदा निकल मौत के मुह से वापस स्थूल शरीर में लौट आने के अनुभव सुनातें हैं .कुछ रिसर्चर ऐसे लोगों के अनेक ब्रेन स्केन उतार चुकें हैं ।
बेशक कितने ही इन अनुभवों को आत्मन /आत्मा के अस्तित्व से जोड़ते रहें हैं .तो कुछ परलोक की सैर से ।
अब यूनिवर्सिटी ऑफ़ जिनेवा की इक रिसर्च टीम इसे दिमागी कन्फ्यूज़न बतला रही है जिसकी वजह सेन्स पर्सेप्सन में परस्पर विरोध बतलाया जारहा है .इन्द्रिय बोध में परस्पर नज़रिए का फर्क बतलाया जा रहा है .
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