जमीन या समुन्दर से तेल कुओं की खुदाई से जो तेल अपनी कुदरती अवस्था में प्राप्त होता है वह इक गहरे काले रंग का तरल ही होता है ,परिष्करण से पहले .अब यही क्रूड आयल /पेट्रोलियम ब्लेक गोल्ड /पेट्रो -डॉलर कहलाता है ।
आजकल यह प्रभुत्व वादी दुनिया के दरोगा देशों के लिए युद्ध उन्माद का इक बहाना भी बन गया है ।
उन्नीसवी शती के उत्तरार्द्ध से पहले तक पशु चर्बी (एनीमल टेलो)तथा व्हेल मच्छी के ब्लबर से इक लुब्रिकेंट (चिक्नाने में प्रयुक्त पदार्थ जो तेल जैसा काम करे )प्राप्त किया जाता था .आयल लेम्पों में इसका ही प्रयोग होता था .यही उस दौर का ईंधन (पेट्रोलियम )भी था ।
१९५९ वह विधाई वर्ष था जब एडविन एल ड्रेक ने टितुस्विले में (पेंसिलवानिया राज्य) तेल की उम्मीद में खुदाई की ,संयोग से यहाँ तेल निकल आया .यही पहला तेल कुआं था ।पेशे से एडविन इक सेवानिवृत्त रेलरोड कंडक्टर था .
देखते ही देखते पश्चिमी पेंसिलवानिया इक प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्र बन गया ।
पेट्रोलियम उत्पाद केरोसीन व्हेल आइल की जगह आयल लेम्पों को रोशन करने लगा ।
बीश्वी शती के आरंभिक चरण में (अर्ली नाइन -टीनहंड्रेड )टेक्सास तथा अमरीका का केलिफोर्निया राज्य तेलुत्पादन के क्षेत्र में अगुवा राज्य बन गए ।
अब ईंधन के रूप में पेट्रोलियम का इक और उत्पाद गैसोलीन भी आगया .अमरीका में आज भी इसे गैस ही कहा जाता है .आदिनांक यह परिवहन की रीढ़ बना हुआ है .डीज़ल इसी पेट्रोलियम परिष्करण का इक चरण मात्र है .
रविवार, 27 फ़रवरी 2011
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