अपराधविज्ञान के माहिर कहतें हैं चार साल की उम्र में भी बच्चे की हिंसात्मक प्रवृत्ति ब्रेन स्केन उजागर कर सकतें हैं .इसे भांप कर बचावी कदम उठाए जा सकतें हैं .समय रहते इलाज़ भी किया जा सकता है ।
अपराधविज्ञान के माहिरों के अनुसार दिमाग की असामान्य बनावट (एब्नोर्मल फिजिकल ब्रेन मेक -अप ) अपराध की वजह बन सकती है ।
पता चला है गंभीर मनोरोग से ग्रस्त वे लोग जो खुद को आहत कर सकतें हैं ,औरों के प्रति हिंसक हो सकतें हैं (साइकोपैथ्स ) तथा अपराधी किस्म के लोगों के दिमाग के कुछ हिस्से अपेक्षाकृत छोटे रह जातें हैं .ये हिस्से हैं "अम्य्ग- डाला " और" प्री -फ्रंटल कोर्टेक्स" .ये दोनों ही हिस्से हमारे संवेगों और व्यवहार को नियंत्रित /विनियमित करतें हैं ।
"ए लेक ऑफ़ कंडीशनिंग टू फीयर पनिशमेंट व्हिच कैन बी मेज़र्द इन टोद्लार्स बिफोर डिस -रपतिव बिहेवियर इज एप्रेंट ,कुड आल्सो बी ए स्ट्रोंग इंडिकेटर "।
माहिरों ने चार साल के बच्चों को भी संवेदना शून्य ,अपराध बोध /भाव तथा तदानुभूति/इम्पैथी से रहित देखा है .यह उनके आइन्दा आगे आने वाले व्यवहार की ओर इशारा भी हो सकता है ,सूचक भी ।
"लिंकिंग दीज़ फीचर्स विद 'कंडक्ट प्रोब्लम्स 'सच एज थ्रोइंग टेंत्रम्स कुड बी ए स्ट्रोंग वे टू प्रिडिक्ट हु कुड बी एंटी -सोसल इन लेटर लाइफ ."ओपाइंस एक्सपर्ट्स ।
इन तमाम विलक्षण -ताओं की शिनाख्त करके बच्चों को अपराधी होने से बचाया जासकता है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :केच देम यंग :स्केन्स टू डिटेक्ट फ्यूचर क्रिमिनल्स .विल पिक अप वायोलेंट टेन -डेन -सीज ,हेल्प इन किड्स ट्रीटमेंट .जस्ट लाइक इन "साइंस फिक्शन फिल्म "/"माइनोरिटी रिपोर्ट ",व्हिच फोकस्ड ऑन डिटेक्शन ऑफ़ प्री -क्राइम ,स्केन्स कैन हेल्प डिटेक्ट इन चिल्ड्रन एज यंग एज फॉर केलस अन -इमोशनल ट्रेट्स लाइक लेक ऑफ़ गिल्ट एंड इम्पैथी देट कुड सजेस्ट फ्यूचर बेड बिहेवियर .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,फरवरी २३ ,२०११ ,पृष्ठ २३ ).
बुधवार, 23 फ़रवरी 2011
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