भोजन का इक ज़रूरी हिस्सा हैं प्रोटिनें जिनके प्रत्येक इक ग्रामसे हमें चार फ़ूड केलोरीज़ प्राप्त होतीं हैं .अमीनो अम्लों का उत्पाद हैं प्रोटिनें ।
पोली -पेप -ताईड्स भी कहतें हैं अमीनो -एसिड्स को तब जबकी अमीनो अम्ल इक लम्बी श्रृंखला बनाएं .प्रोटीन पशु और पादप उत्पाद हैं ,दोनों से प्राप्त होतें हैं ।
पशुओं से मिलने वाले प्रोटीनों में दूध तथा दुग्ध उत्पाद ,मांस ,मच्छी ,अंडा आदि शामिल हैं ।
मधुमेह रोगियों के लिए पादप प्रोटीन अव्वल रहतें हैं .(लेकिन गुर्दों में खराबी होने पर इनका सेवन प्रतिबंधित हो जाता है )।
१८ किस्म की दालों से भरपूर प्रोटीन की आपूर्ति होती है .अरहर ,चना ,मूंग छिलका /साबुत मूंग ,मोठ ,काला चना ,छोले ,लोबिया ,सोयाबीन ,मटर ,तथा न्युत्रिला दालें ही दालें हैं,मधु मह रोगी के लिए । चुन तो लें .
ह्रदय रोग न होने की स्थिति में पशु प्रोटीनों का सेवन भी किया जासकता है .इनमे अमीनो एसिड्स उचित अनुपात में होतें हैं ।
प्रोटीन लेने से रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर नहीं बढ़ता है .मधुमेह रोगी प्रोटीन खूब लेसकता है ।
६०%गेंहू ,३० %चना तथा १०%सोयाबीन का आता उत्तम डायबेटिक आटा है .
शनिवार, 26 फ़रवरी 2011
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