वो जो कल तक पेट पर हाथ फेरते हुए इंडिया के जायके की बात करते थे ,तडके की बात करते थे आज वे भी देश के मसायल पर सोचने लगे .ये अच्छी बात है .विनोद दुआ को बधाई ।
इक शैर उनके लिए :
जिन्हें पहचान नहीं गुंचा और गुल की ,
चमन हो गया आज उनके हवाले ।
सन्दर्भ -सामिग्री :विनोद दुआ /एन डी टी वी
विशेष -उल्लेख :स्वामी रामदेव जिनके लिए इक शैर विनोद दुआ साहिब ने पढ़ा :
वो जो बेचते थे दवा -ए - दिल ,वो दूकान अपनी बढ़ा चले .
बुधवार, 23 फ़रवरी 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें