कैसे तैयार किय जातें हैं ,क्या काम करतें हैं प्रोबायोटिक्स ?
प्रोबायोटिक्स -खाद्य ,लेक्टिक एसिड बेक्टीरिया ,यीस्ट्स (खमीर )या फिर दोनों की ही (मिश्र )रासायनिक क्रिया से प्राप्त किये जातें हैं ।
ये बहु -उपयोगी जीवाणु समूह ,माइक्रो -ओर्गेनिज्म कार्बो -हाइड्रेट्स और सुगर्स को सुपाच्य रूपों में तोड़ देतें हैं .इनका पोषण मान भी बढा देतें हैं .ज्यादा पुष्टिकर हो जातें हैं इनकी उपस्थिति से प्रोबायोटिक खाद्य ।
क्यों ज़रूरी /महत्वपूर्ण हैं सेहत के लिए प्रोबायोटिक्स ।?
गट फ्लोरा इज दी इकोलोजी ऑफ़ माइक्रो -ओर्गेनिज्म प्रेजेंट इन दी बॉडी .दिस इकोलोजी सम -टाइम्स गेट्स देस्त्रोइड ड्यू टू स्ट्रोंग एंटी -बायोटिक्स मेडिसंस एंड ड्रग्स ,इल्नेसिज़ ,एक्सेसिव कन्ज़म्प्शन ऑफ़ एल्कोहल एंड इविन स्ट्रेस ।
हमारा वृहद् आंत्र क्षेत्र इनका कुदरती आवास ,फलने फूलने की जगह और सम्पूर्ण पारिश्थिति तंत्र है इनके पल्लवन के लिए .बात बे बातएंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवनकोल्ड और कफ में भी इन दिनों आम हैं ,कुछ दवाएं और ड्रग्स (नशीले पदार्थ ).लम्बी खिची बीमारी ,शराब का बेहिसाब सेवन इस गट इकोलोजी को तहस नहस कर देता है ।
दवाएं बीमारी को भगाती ज़रूर हैं लेकिन दवाओं पर ज़रुरत से ज्यादा निर्भरता रोगकारकों के साथ साथ अच्छे बेक्टीरिया को भी नष्ट कर देतीं हैं .आंत्र क्षेत्र में जीवाणु संतुलन गडबडाने से इक तरफ पाचन असर ग्रस्त होता है दूसरी तरफभोजन से हमारा शरीर सारे पोषण तत्व नहीं जुटा पाता ।
एंटी -बायोटिक्स दवाओं का दीर्घावधि तक सेवन अच्छे बेक्टीरिया की पुनर -प्राप्ति को भी बाधित करता है .यहीं पर प्रो -बायोटिक्स सहायक की भूमिका में आजातें हैं .शरीर में अच्छे जीवाणु की क्षति पूर्ती करतें हैं .लेकिन इनका उपयोग संतुलित और तार्किक होना चाहिए .चिकित्सक की देख रेख में हो तो बेहतर .(ज़ारी ...).
शनिवार, 26 फ़रवरी 2011
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