सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

बोन ड्रग्स लेने वाली प्रौढा ज्यादा दिन ज़िंदा रहतीं हैं ....

एल्डर -ली वोमेन ऑन बोन ड्रग्स मे लिव लोंगर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,फरवरी २१ ,२०११ ,पृष्ठ१९ )।
बेशक हाल फिलाल मीडिया मे बोन ड्रग्स को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा है लेकिन इससे होने वाले फायदे की भी बराबर पुष्टि हो रही है पलड़ा लाभ की और झुक गया है .लम्बी उम्र प्राप्त करतीं हैं बोन ड्रग्स लेने वाली प्रौढा .बेशक सम्बन्ध सीधा नहीं है ।
लेकिन ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चरों ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट मे बतलाया है जो प्रौढा इन दवाओं का सेवन करतीं हैं वे दवाएं न लेने वाली महिलाओं से ज्यादा जीतीं हैं ।
उनके अध्ययन मे शरीक हरेक सौ के पीछे वे तीन महिलायें जो दवा नहीं ले रहीं थीं जल्दी शरीर छोड़ गईं ।
बिस्फोस्फोनेट्स से ताल्लुक रखता है यह अध्ययन .आम तौर पर दवा लेने वाली महिलायें अपेक्षाकृत स्वस्थ रहतीं हैं बेशक लम्बी उम्र तक ज़िंदा न भी रहें ।
टोनी स्ताबिले ओस्तिओपोरोसिस सेंटर ,कूल्माबिया यूनिवर्सिटी ,न्युयोर्क ने भी इस खबर का स्वागत किया है ।
बोन ड्रग्स के लिए अनेक दवा निगम दवाएं बना रहें हैं मसलन जिनमे मर्क्स की दवा "फोसमक्स "रोशेज़ की "बोनिवा "नोवारातिस की "रीक्लास्त "तथा वार्नर चिल्काट्स की "एक्तोनेल "का नाम लिया जासकता है ।
ओस्टियो -पोरोसिस मे ये तमाम दवाएं प्रिस्क्राइब की जातीं हैं .असरकारी नुश्खा हैं अस्थि क्षय का ,लोस ऑफ़ बोन मॉस का जो रजो -निवृत्त महिलाओं को आमतौर पर अपनी चपेट मे ले लेता है ।
तकरीबन इक करोड़ अमरीकी ओस्टियो -पोरोसिस की चपेट मे हैं जिनका बहुलांश मिनोपोज़ल महिलायें हैं .इस रोग मे अस्थियाँ इतनी कमज़ोर हो जातीं हैं उठते बैठते भी टूटने लगतीं हैं .

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