रविवार, 20 फ़रवरी 2011

व्हाट इज फेमिलियल हाइपर -कोलेस्त्रोलिमिया ?

फेमिलियल हाइपर - कोलेस्त्रोलिमिया क्या है ?(ऍफ़ एच ?)।
यह ऍफ़ एच उनलोगों में भी देखा जा सकता है जो हर तरह से इक स्वस्थ जीवन शैली अपना रहें हैं .यह इक बिरला आनुवंशिक रोग है जो खानदानों में देखा जा सकता है .इसीलिए इसकी चर्चा भी कमतर ही हुई है ।
बहर -सूरत 'हार्ट यु के 'के अनुसार इस स्थिति से ग्रस्त लोगों का यह दायित्व है वह अपने बच्चों को दस साल का होने पर टेस्टिंग के लिए (लिपिड प्रोफाइल का पूरा जायजा लेने के लिए )किसी अच्छी भरोसे मंद(लाल पैथालोजी जैसी किसी ) लेब में ले जाएँ ।
अपोलो क्लिनिक ,स्टेट्स, के सर्जन वी. के. निगम कहतें हैं वैसे भी आजकल इक स्वस्थ व्यक्ति की पहली टेस्टिंग ३० साल की उम्र में हो जानी चाहिए ।
ऍफ़ एच में कोलेस्ट्रोल खासकर बेड कोलेस्ट्रोल (एल डी एल कोलेस्ट्रोल /लो डेंसिटी लिपो -प्रोटीन कोलेस्ट्रोल )का उच्च स्तर बहुत ज्यादा पाया जाता है .ऐसे में हृद वाहिकीय -रोगों की दस्तक जल्दी शुरू हो जाती है .दस साला बच्चों में भी इसका रोग निदान (डायग्नोसिस )हो सकती है .ऐसे में रोग की जल्दी शिनाख्त बेहतर प्रोग्नोसिस की चाबी है ।
मेदान्ता हार्ट इंस्टिट्यूट के हृद -रोगों के माहिर डॉ .कार्तिकेय भार्गव कहतें हैं :आजकल २४ साला यूथ को भी हार्ट अटेक पड़ते देखा जा सकता है सुना भी बहुतों ने होगा .(मैं इक ऐसे रोगी को जानता हूँ जिसे हार्ट अटेक और ब्रेन अटेक दोनों हो चुकें हैं पांच साल के अंतर से .फिलवक्त उसकी उम्र ३१ बरस है ।).
कुछ मामलों में इसके पीछे ऍफ़ एच का भी हाथ हो सकता है .हालाकि जीवन शैली से जुडी खुराफातें इसके पीछे ज्यादा दिखलाई देंगी .मसलन कुछ लोग कम उम्र में ड्रग्स (नशीली दवाओं के )के आदि हो जातें हैं .राहुल महाजन फेक्टर से ग्रस्त हो जातें हैं ।
वैसे भी भारतीय 'कोरोनरी -आर्ट -री दीजीज़ /परिह्रिदय धमनी रोग )की चपेट में पश्चिम के लोगों से दस साल पहले ही आजातें हैं .इसी आनुवंशिक पूर्वपरता(जेनेटिक प्री -डिस -पोजीशन ) की वजह से संभवतया रोग भी उग्रतर रहता है .शहरी जीवन शैली की गिरावट इसे बद से बदतर बना रही है ।
यही वजह है दिल्ली जैसे महानगर में हृद रोग मधुमेह और कैंसर को पछाड़ कर सबसे ज्यादा मारक नंबर वन किलर बन गए हैं ।
स्मोकिंग ,साइकोलोजिकल स्ट्रेस ,डेस्क वर्क बैठे बैठे करते रहने की आदत ,सिदेंतरी लाइफ स्टाइल यानी कसरत का दैनिकी से गायब होना ,पान मसाला इक चंडाल चौकड़ी की तरह युवा भीड़ को घेरे हुए है .ऐसे में पारिवारिक इतिहास हृद रोगों को बदतरीन बना देता है ।

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