बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

व्हाट इज दी डिफ़रेंस बिटवीन सिम्पिल एंड कोम्प्लेक्स कार्बो हाइड्रेट ?

क्या फर्क है सरल (सिम्पिल )और जटिल (कोम्प्लेक्स कहे जाने वाले )कार्बो -हाइड्रेट में ?
साधारण या सरल सिम्पिल कार्बो -हाइड्रेट में ग्लूकोज़ इकाइयों की श्रृंखला (चैन ऑफ़ ग्लूकोज़ यूनिट्स )जल्दी घुल जाती है .इसमें क्योंकि रेशे नहीं होते इसलिए वे आँतों में घुलते ही ब्लड सुगर में स्पाइक ला देते हैं ब्लड सुगर देखते ही देखते बढा देते हैं .इनका ग्लासेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है ।
जबकि जटिल कार्बो -हाई -ड्रेट की चैन जल्दी नहीं टूटती है इसलिए इन्हें आँतों में घुलने में भी अपेक्षया देर लगती है .ज़ाहिर है ब्लड सुगर में एक दम से स्पाइक/बढ़ोतरी नहीं होती है .धीरे धीरे और देर से होती है .इनका ग्लासेमिक इंडेक्स भी सरल कार्बो -हाई -ड्रेट से कम होता है ।
चीनी ,गुड ,शक्कर ,जेम ,जेली ,केंडी,आइसक्रीम ,आम ,केला आदि ज्यादा मीठे फल सरल कार्ब में आयेंगें ।
जबकि एपिल ,जामुन ,सब्जियां ,ब्राउन ब्रेड ,सूजी ,इडली ,होल ग्रेन ब्रेड /चपाती जटिल कार्ब के तहत आयेंगे ।
चावल (सफ़ेद )तथा आलू में दोनों सरल तथा जटिल कार्ब पाए जाते हैं ।
साधारण कार्ब से ग्लूकोज़ के कण निकलते हैं तथा जीभ पर मिठास आ जाती है .जटिल कार्ब में ग्लूकोज़ के कण इतनी जल्दी नहीं घुलते .उनसे ग्लूकोज़ की छोटी छोटी इकाइयां निकलतीं हैं जिनसे जबान पर मिठास नहीं आती ।
जटिल कार्ब विटामिन ,खनिज (मिनरल्स )एवं खाद्य रेशे प्रदान करतें हैं ।
ब्रेड ,चावल ,पाश्ता ,सब्जियां एवं फल कार्ब के स्रोत हैं .

कोई टिप्पणी नहीं: