पाषाण युग का आरंभिक दौर जब आदमी /आदिमानव पाषाणों से औज़ार आदि बनाता था ,(नियेंदर्थल,क्रो -मंगोलियन /जावा मेन जिस दौर में रहते थे )जो कुछ खाता था उसे पैलियो -लिथिक डाइट/कन्दरा -मानव की खुराक या फिर पाषाण युगीन खुराक /भोजन कहा जाता था ।
इसी खुराक को अपनाने इसके लोकप्रियकरण के लिएइन दिनों पुस्तिकर तत्वों के आलोक में जो मुहीम चलाई गई है वही 'पैलियो -लिथिक मूवमेंट 'है .यह इक पुष्टिकर खुराक से जुड़ा आयोजन है जिसमे पाषाण कालीन परिकल्पित खुराक ही ली जाती है जिसमे सिर्फ वह जंगली पादप ,फल फूलवनस्पति और पशु मांस शामिल है जिसका सेवन अब से पच्चीस लाख बरस से लेकर १०,०० वर्ष पूर्व तक इंसान किया करता था ।
कृषि कर्म की शुरुआत के साथ यह दौर संपन्न हुआ ।
सम -कालीन पैलियो -लिथिक डाइट में प्रमुखतय मांस -मच्छी ,तरकारियाँ ,फल और मेवे , ,रूट्स शामिल हैं ।
इसमें अनाजों ,दूध और दूध से बनी चीज़ें ,पनीर ,चीज़ आदि तथा लेग्युम्स(बीज वाली फलियों के पौधे ,शिम्ब्जातीय पादप , ,साल्ट आदि को भी शरीक नहीं किया गया है .
रविवार, 13 फ़रवरी 2011
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