मोटापा जिसे अब इक स्वतन्त्र रोग का दर्जा प्राप्त है मधुमेह के खतरे के वजन को और भी बढा देता है .पहले मेडिकल ट्रायाद के सिरों (एपेक्स )और त्रिभुज के आधारीय सिरों पर डायबिटीज़ ,हृद्रोग और हाई -पर -टेंशन बैठे थे यानी तीनों में से किसी इक कि ज़द में आ जाने पर बाकी दो से भी बचाव ज़रूरी हो जाता था अब इस तिकड़ी (त्रिकोण )में मोटापा भी आ जुड़ा है .चारों रोगों की परस्पर दुर्भि -संधि है ,इक दूसरे के खतरे को चारों बढा देतें हैं ।
आपका वजन आदर्श कदकाठी के अनुरुप वजन से १० फीसद अधिक होने पर आपके लिए मधुमेह का ख़तरा सामान्य से ज्यादा हो जाता है ।
प्राय मोटे व्यक्तियों में इंसुलिन भी ब्लड ग्लूकोज़ के स्तर को पूरी तरह नियमित /कम नहीं कर पाता है .खाते -पीते ये लोग भोजन के प्रति भी कम लापरवाह नहीं होते ,चिकनाई सना भोजन लेने से ज़रा भी नहीं चूकते ।
रेशा युक्त खाद्य अकसर इनके खान -पानी से नदारद रहता है .व्यायाम से भी ye chhitke rehten hain .
रविवार, 6 फ़रवरी 2011
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