लुकिंग एट सोर्स कैन कट पैन (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,फरवरी ११,२०११ ,पृष्ठ २५ )।
यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन तथा यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिलन बिकोच्चा के रिसर्चरों ने पता लगाया है दर्द के स्रोत को निहारने से दर्द का एहसास घट जाता है .अकसर जब आपको इंट्रा -मस्क्युलर या इंट्रा -वीनस सुइंयाँ (इन्जेक्संस )लगतें हैं तब आप दूसरी तरफ मुंह कर लेतें हैं ,आँख बंद कर लेतें हैं .लेकिन यदि इंजेक्सन की ओर ताका जाए या फिर हाथ के या शरीर के उस हिस्से को आवर्धित (करके )देखा जाए जहां इन्जेल्सन लगाया जा रहा है तो उसी अनुपात में दर्द का एहसास भी कम हो जाता है .इस अध्ययन से हमारा दिमाग दर्द का संशाधन (प्रोसेसिंग )किस प्रकार करता है इस बात का खुलासा होता है .इससे इलाज़ के नए रास्ते खुल सकतें हैं .अपना अनुभव बतलाता हूँ २३ -२४ साक की उम्र तक मैं इन्ट्रावीनस इंजेक्सन को इक बहुत ही पीड़ा जनक अनुभव समझा करता था .उसके बाद मैंने इंजेक्सन लगने की प्रक्रिया को निहारना शुरू किया .यकीन मानिए एहसासे दर्द जाता रहा .
सोमवार, 14 फ़रवरी 2011
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