बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

खाद्य संरक्षी क्या मधु -मेह रोगी ले सकता है ?

खाद्य परिरक्षी/संरक्षी कुछ कुदरती होतें हैं कुछ कृत्रिम /संश्लेषित .घर में नमक ,तेल ,चीनी आदि का स्तेमाल अचार /मुरब्बा आदि बनाने खाद्यों की भंडारण अवधि बढाने के लिए अकसर किया जाता है .प्रिज़र्वेतिव्ज़ से यूं बचा भी नहीं जा सकता लेकिन इनका स्तेमाल सीमित होना चाहिए .खासकर हाइड्रो -जिनेतिद
वेजिटेबिल ओइल्स का ,ट्रांस फैट्स का जो बेक्रीज़ की रीढ़ हैं ।
अलबत्ता मधु मेह के रोगियों को तेल और चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए ।
सन्दर्भ -सामिग्री :मधुमेह रोगियों के लिए २०१ टिप्स -डॉ .बिमल छाजेड़(एम् डी ).,फ्यूज़न बुक्स ,एक्स -३० ,ओखला उद्योगिक क्षेत्र ,फेज़ २ ,नै -दिल्ली -११०-०२० .दूरभाष :०११ -४०७१२१०० ,ई -मेल :सेल्स @डीबीपी .इन /डब्लू डब्लू डब्लू .डीबीपी .इन
विशेष :इस ब्लॉग पर जो कुछ भी लिखा जा रहा है वह किसी न किसी प्रामाणिक सन्दर्भ- सामिग्री पर आधारित है .अलबत्ता लेखक का विज्ञान पत्रकार के बतौर ३० बरसों का अनुभव और साधना है .पूरी जिम्मेवारी से लिखा जा रहा है .

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